कुछ ऐसे अल्फ़ाज़ है दोस्ती के
बिन कहे हँसी खुशी में शामिल हो जाते हैं
हर घडी हर पन्नों मे आ जातें हैं
हर दिन शिकायतों के पूल बांधते हैं
हर मुशिबतो को आपना मानते हैं
मानते नहीं किसी की कहीं सलाह
अपना सलाह ये खुद बनाते हैं
सभी को साथ ले आगे बढ़ते हैं
पिछड़े हुए को भी आगे बढ़ाते हैं
दिन हो या रात महफ़िल इनकी जमती है
नये हो या पूराने दोस्ती इनकी दिल से बनती है
(Happy friendship day my all friends👭👬)-
अब तुम मे
पहले तो बहुत खुले ख्यालों के थे
अब तो बंद फरिस्तों मे वास्ता रखते ... read more
बेख़ुदी का आलम है
कैसे जियूँ--- बिन तेरे!
तेरे ख्यालों में खोया हूँ, ---
आज नहीं तो कल रोया हूँ ---
आँखों से , बहती धारा, है तेरे नाम की ---
क्या ये सुख है, तेरे पहचान की---
नींदों में भी तुम ही रहती हो----
मीठी मीठी तुम बातें कहती हो----
तुझे ले चलूँ मैं प्यार की समंदर मे---
ये सपने क्यूँ बार बार मुझे होता है----
नशीला है तेरे प्यार में----
क्यूँ न मैं इसमें खो जाऊँ---
तेरे इश्क़ में है एक आदत सी---
कैसे जियूँ--- बिन तेरे---।।।-
लोगों के तानों को सुन अपना रास्ता बना लिया
लोगों के तानों को सुन कौन अपना है वो भी जता लिया।
थक गया है मन लोगों की बातें सुन
एक मन ही है अपना उसे मैंने सपना बना लिया।
बार बार लोगों की बातों में आ जाता था
एक सच्चाई तो है अपना उसी को रास्ता बना लिया।-
परिस्थितियों में जोड़ नहीं था
कि मेरा हिम्मत तोड़ पाते
वो तो हौसले ने रुख मोड़ लिया शाहब
क्योंकि मजबूरियों से हम भाग नहीं पाते-
तेरे नींदों में भी खोने लगा हूँ
तेरे लाख मना करने के बावजूद
तेरा मैं होने लगा हूँ
तेरा दिल जो बयाँ न कर पाया वो
तेरे नजरों से भी इजहार होने लगा है
तेरे तड़प का है बस इंतेजार
अभी फिल्हाल!
तेरे मनों में भी खोने लगा हूँ
(एक जीत हो सपनों का)-
देख के तुझे कुछ याद आया
कुछ रंगीन पलों को मैं साथ लाया,,।
देख के तुझे मैं मुस्कुराने लगा
पता नही कौन सा नशा मुझ पर छाने लगा,,,।
कुछ नहीं बस पुरानी बातें याद आई
जो कुछ हसीन लम्हें तेरे साथ बिताई,,।
उन हसीन पलों में मैं खोने लगा
पता नहीं पुराना वाला प्रेम फिर से होने लगा,,।-
एक वक़्त था तो तुम्हें बताया नहीं ,
दिल से निकले बातों को होंठों पर लाया नहीं।
वक़्त बिटता रहा दिल के एहसासो तले,
एक वक़्त भी आया लेकिन तुम्हें भुलाया नहीं,।-
अभी मंजिल का करीब हूँ मैं
ढूँढ रहा हूँ बस एक जरिया
बस थोड़ा सा वक़्त ले लूँ (ढूंढने के लिए)
अब मंजिल छोड़ देता हूँ मैं
बस एक जरिया ढूँढ लेता हूँ मैं-
एक दो बार हार गया खुद से
तो क्या हुआ
प्रयासों की डोर को थामा हूँ अभी
मेरे रास्तों में काटें लगा है बातों का
तो क्या हुआ
रास्तों में चलना सीखा हूँ अभी-
खुद में खुद को ढूँढ रहा हूँ
छोटे छोटे सपने बुन रहा हूँ
नींदें मेरा खो गया है किधर
आज सपनों में नींदें धुन रहा हूँ-