Dhananjay Dubey  
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Joined 16 May 2019


Joined 16 May 2019
30 NOV 2019 AT 12:38

जब पैदा हुए और होश सम्भाल तो,
लगा कि कितनी हरी-भरी है जिंदगी।
जब स्कूल गये तब रिजल्ट का डर,
तो लगा कितनी डरी-डरी है जिंदगी।
जब जवां हुए तो करियर बनाने की होड़,
तो लगा कितनी जद्दोजहद भरी है जिंदगी।
जब प्यार हुआ तो लगा कि जी ले जरा,
क्योंकि लगने लगा कि चार घड़ी है जिंदगी।
फिर शादी फिर बच्चे फिर वही सिलसिला।
फिर लगा कि कितनी उलझी पड़ी है जिंदगी।

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30 NOV 2019 AT 12:16

मैं ये जान कर काफ़ी उत्साहित हुआ कि योर कोट ने हम जैसे नवीन कवियों और लेखकों के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म दिया जहाँ हमें अपनी बुक लिखने और पब्लिश का अवसर मिला।।।वो भी न्यूनतम राशि मे।
योर कोट को मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद।

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12 AUG 2019 AT 22:25

ये वक्त कभी ठहरता नही, ये वक्त भी गुज़र जाएगा,
नशा हर वक्त रहता नही, ये नशा भी उत्तर जाएगा।
तूने गुमान करके कहा कि तुझे लौट कर आना नही,
जब गैरों से टूटेगा तालुक तो बता तू किधर जाएगा।

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22 JUL 2019 AT 11:05

उम्मीदों से दुःख होता
उम्मीदों से ही खुशी है,
जो उम्मीद नही तो दुनिया क्या है।
और जो उम्मीद है,तो जिंदगी है।

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22 JUL 2019 AT 10:49

जब तक दिल मे चिंगारी है, आग लगने की उम्मीद है।
हार सकता नही वो कभी जिसे जीतने की ज़िद्द है।

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10 JUL 2019 AT 11:47

उड़ सकता है तू भी ,ख़ुद को आज़माकर तो देख,
अरमानों के पंख एक बार लगा कर तो देख।

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5 JUL 2019 AT 10:52

हर शाम तेरी पहलु में बैठ कर,
हम रोज़ ख़ुद से मिला करते है।

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28 JUN 2019 AT 15:51

हम अपना अधिकार किस तरह जाया करते हैं,
जिन्हें हमने अपने अंगुलियों का सहारा दिया ,
वही हमें अंगुलियों पर नचाया करतें है।

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28 JUN 2019 AT 15:43

अब तो हरा रंग भगवा के आगे मर रहा है,
जाके देखो हर शहर में तिरंगा फहर रहा है।

अब तो मानवता का अक्स मानव के अंदर नही रहा,
इस देश मे कहीं भी शांति का मंजर नही रहा।

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26 JUN 2019 AT 11:52

मुझे ख़्वाहिश नही ये कि मैं धनवान हो जाऊं,
या दुनिया में हो नाम और मैं महान हो जाऊं।
ना ख़्वाहिश है बनने की हिन्दू, सिक्ख ,ईसाई,
ना ख़्वाहिश है कि मैं मुसलमान हो जाऊं,
अये, ख़ुदा बस तुझसे यही है गुज़ारिश मेरी,
की छू ले अपने रूह से और मैं बस इंसान हो जाऊं।

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