Dhananjai Kumar Rai   (धनंजय कुमार राय)
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Joined 4 November 2016


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Joined 4 November 2016
4 SEP 2020 AT 1:22

तू ज़िंदगी के कश्मकश से हारा क्यू हैं ?
तूने ख़ुद को अपने आप मैं जकड़ा क्यू हैं ?
तू वह हैं जो तू चाहेगा,
तू दूसरी को देख ख़ुद से ख़फ़ा क्यू है।

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24 JUN 2020 AT 16:39

< Jai>

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27 NOV 2016 AT 13:06

If you ever find a girl who loves you with all her soul drenched in blood and pain and yet beautifully trying to make you happy everytime with all what she has, then never leave her... it's hard to find a beautiful soul..

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21 NOV 2016 AT 2:53

ज़िन्दगी जीने की तलब आज भी मुझमे बाकी हैं
इन गहरी काली रातों मैं आज भी उन सितारों की चमक बाकी हैं

कोइडियों की होड़ मैं
आशार्फियाँ को तक लुटा बेठे

फिर भी ज़ेहन मैं,नभ गगन को पाने की चाह अभी बाकी हैं
होसलों मैं कमी नहीं, दिल मैं धड़क अभी बाकि हैं
मेरे पंखो को देख, इसकी आखरी उड़ान अभी बाकी है

इन सन्नाटों ने, मुझको पाला हैं
इन वीरानियों ने, आज मुझको जाना हैं
खामोशियों मैं उस गूंज की तलाश अभी बाकी हैं

पर्वतों को चीरने वाली, आखरी वार अभी बाकी हैं

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21 NOV 2016 AT 2:45

जुगनू

सांझ हो गई,फिर रात का इंतज़ार
चाँद की चंदिनी की नहीं
तम की तमस का इंतज़ार

क्यों बेताबी, क्यों यह पागलपन
क्या हे ऐसा, इस रात के साये में
किस को खोज रहा,किस को ढूंड रहा?
ए बावरे,क्या तू उस जुगनू की तलाश कर रहा?

जुगनू की झिलमिलाहट तुझे इतनी क्यों प्यारी
जहा चाँद की शीतलता छोड़ जुगनू की चमक हे न्यारी

जवाब दे पथिक, अपने राह से तू क्यों भटक रहा
तेरी मंजिल अलग,भिन्न निशा का सवेरा

देख नभ गगन को,
करोडो मोतियों को संजोये ये,खुबसूरत कितने

फिर भी तू उस जुगनू की तलाश क्यों कर रहा?
क्या वह तेरी मंजिल या दरिया का किनारा?

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20 NOV 2016 AT 12:01



खामोशियां बोहत कुछ कह जाती हैं
दिल के कई अफसाने बयान कर जाती हैं

दिल जब तक धडकता हैं,नाराज़गी जाईज़ हैं
वरना धड़कने खामोश हो कर, कई गेरो को भी अपना बना जाती हैं।।

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19 NOV 2016 AT 2:54

ना तख़्त- ए - शाही ज़िंदगी की चाह हैं
ना किसी के रहमत की
मिल जाए तेरा जो साथ
तो मिल जाए जन्नत भी

मेरी चाहत की हर एक आरज़ू अब तु ही हैं
मेरी जुस्तजू ,मेरी बरकत अब तू ही हैं

ख्वाबो की हर एक तबस्सुम की वज़ह अब तुझी से हैं
हर सेहर की कलियों की शगुफ़्ता अब तुझी से हैं

जो रक़बत और मोहब्बत तुने मुझपे बरसाई हैं
शाईस्ता शिरीन से, मुझमे वह समाई हैं

मुख्तलिफ हैं तु, समझता हूँ
लेकिन तु कोई नूर से कम नहीं वह मैं जानता हूँ

आफरीन !! तेरी मुस्कान एक रूहानियत भर्ती हैं
मुझे तु खुदा की इनायत लगती हैं

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22 JUN 2020 AT 19:48

कुछ पुरानी बातें दिल में ना यूँ रखा करो
की नये सिरे से आग़ाज़ ना हो पाए
समझ हमेशा वक़्त की ज़रूरत से कम ही रही हैं इंसानों में
और अगर में ज़रा सा भी सही हुँ तो शायद में इंसान हुँ
वरना फ़रिश्ते ग़लतियाँ नहीं किया करते I

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11 FEB 2020 AT 23:54

Kuch Aise shaks se milne ki chahat rakhte hai

Anjaan se Kuch jaan pehchan rakhte hai

Ghanto batain karni ki chahat hai,

Kuch use samajh, Kuch khud Ko Aaj bayan karte hai.

Dil k Sanduk main jo lafz dono k dabe hai

Ek dusre Main Aaj bant lete hain...

Chalo Dil k Dafan Afsano Main Aaj jaan bharte hain..

Chalo Ek dusre Ko Aaj jaan lete hain!!
Chalo Ek dusre Ko Aaj jaan lete hain!!

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25 JUL 2019 AT 23:07

आशी

खुशियों की चादर लिए आये तुम ख़ुशी
अपनों क अपनेपन को साथ लाये तुम ख़ुशी

मोती के सहज तुम अनमोल हो
कही किसी की मुस्कान की तुम वजह हो

यह वक़्त जो थम जाये तो क्या खूब होगी
किसी के हांथो पे खींचो खूबसूरत सी लकीर होगी

नियति की दी गयी हर खुशियां
तुम्हारे दमन मैं छोटी लगे

तुम्हारी प्यारी सी हँसी को देख
घना साया भी कमज़ोर लगे

खुदा से हर एक ख़ुशी की वजह पूछता हूँ
उसके चेहरे पे छुपी मुस्कान की वजह तुम्हे समझता हूँ

आज इस पल को जीने की वजह तुमने दी हैं
खुशियों की पोटली मैं परियों की कहानियां तुमने दी हैं

क्या खूब कही हैं किसी ने
कल के सुनहरे पल की वजह वह ख़ुशी होती हैं

जब ख़ुशी ही मेरे हिस्से मैं हो तो
ज़िन्दगी कितनी हसीं लगती हैं।

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