Dewashish Pathak   (Dewashish Pathak ✍️)
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Varanasi
Joined 21 September 2019


Varanasi
Joined 21 September 2019
28 NOV 2024 AT 9:00

वो एहसास कुछ कमाल का था
जब उसका हाथ, मेरे हाथ में था
शब्दों में बयां, जो ना हो सके
कुछ ऐसा ही, वो जज़्बात था।

दिल की धड़कने तो तेज थी
पर सुकून भी, उसके साथ था
कम शब्दों में कहें तो...
प्यार का पहला एहसास था।


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13 AUG 2024 AT 14:21

घाट किनारे बैठे थे हम .....
नजारों को देख के, वो सुकून की बात कर रही थी
और मैं सुकून से देख रहा था, उसे।

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21 JUL 2023 AT 12:02

कभी चलते हैं घाटों पे

कुछ कहना तुम, मैं सुन लूंगा
मन हुआ तो बैठ जाना, नहीं तो गंगा उस पार चल लूंगा।

चाय पसन्द हो तो ठीक, नहीं तो साथ में कॉफी भी पी लूंगा
तुम देखना सुंदर नजारों को, मैं सिर्फ़ तुम्हें ही देख लूंगा।

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9 JUL 2023 AT 17:34

बादलों को चिट्ठी नहीं लिखा करते
बारिश का इंतज़ार करना पड़ता है।

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24 FEB 2023 AT 20:50

रात हो, तो बनारस के घाट पे
हाथ हो, तो तुम्हारे हाथ में
सुकून मिलता है फिर, इन नजारों में
चाहे भीड़ क्यों ना हो, हज़ारों में।

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24 NOV 2022 AT 21:02

हर तरफ़ से हारे हुए हो?
चलो हर तरफ़ कोशिश तो की तुमने।

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26 SEP 2022 AT 17:24

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25 AUG 2022 AT 21:06

बनारस शहर की भीड़ भाड़ से दूर, एक सुकून है
जिसे हम "घाट" कहते हैं।

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19 JUL 2022 AT 13:51

बोलने को तो हम इसे घाट भी बोल सकते हैं
पर हम इसे सुकून कहते हैं।

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5 MAY 2021 AT 0:23

क्यूँ देखूँ मैं बाहर
जहाज़ से तो सिर्फ, बादल और आसमान दिखता है
देख लूँ तुम्हारा चेहरा
उसमे तो पूरा जहान दिखता है! 😊

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