वो एहसास कुछ कमाल का था
जब उसका हाथ, मेरे हाथ में था
शब्दों में बयां, जो ना हो सके
कुछ ऐसा ही, वो जज़्बात था।
दिल की धड़कने तो तेज थी
पर सुकून भी, उसके साथ था
कम शब्दों में कहें तो...
प्यार का पहला एहसास था।
-
घाट किनारे बैठे थे हम .....
नजारों को देख के, वो सुकून की बात कर रही थी
और मैं सुकून से देख रहा था, उसे।
-
कभी चलते हैं घाटों पे
कुछ कहना तुम, मैं सुन लूंगा
मन हुआ तो बैठ जाना, नहीं तो गंगा उस पार चल लूंगा।
चाय पसन्द हो तो ठीक, नहीं तो साथ में कॉफी भी पी लूंगा
तुम देखना सुंदर नजारों को, मैं सिर्फ़ तुम्हें ही देख लूंगा।-
बादलों को चिट्ठी नहीं लिखा करते
बारिश का इंतज़ार करना पड़ता है।-
रात हो, तो बनारस के घाट पे
हाथ हो, तो तुम्हारे हाथ में
सुकून मिलता है फिर, इन नजारों में
चाहे भीड़ क्यों ना हो, हज़ारों में।-
बनारस शहर की भीड़ भाड़ से दूर, एक सुकून है
जिसे हम "घाट" कहते हैं।-
बोलने को तो हम इसे घाट भी बोल सकते हैं
पर हम इसे सुकून कहते हैं।-
क्यूँ देखूँ मैं बाहर
जहाज़ से तो सिर्फ, बादल और आसमान दिखता है
देख लूँ तुम्हारा चेहरा
उसमे तो पूरा जहान दिखता है! 😊-