Dewanshu Dwivedi   (देव शिवम)
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Joined 28 March 2018


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Joined 28 March 2018
13 SEP AT 23:02

परिस्थितियों के अनुसार
विचार बदल जाया करते हैं।

और विचार बदलने के बाद
परिस्थितियाँ दुबारा बदल जाती हैं ।

ये खेल आसान नहीं होता हमेशा
हमारी आकांक्षाओं का क्रम एकसमान नहीं रहता ।

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9 SEP AT 22:11

इक लम्हा आता है आत्मविश्वास पर वार करने, 
और फिर इक लम्हा आता है, सफलता की नींव रखने ।

इन लम्हों के सिरे जब गुत्थम- गुत्था होते हैं,
तब द्वंद छिड़ता है अपनी काबिलियत
और नाकाबिलियत की पहचान का |

अपने पर भरोसा और अपनों का भरोसा,
आभासी सीढ़ी को मन पर अंकित कर देता है,
और हमारे पैर उसमें गति करते हैं।

वहीं कहीं कोई सच्चा या झूठा अक्स,
बेचैन कर जाता है कई रातों के लिए।
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हम सब क्षमतावान हैं, मानव रक्त पाया है जो हमने ।
बस सर्जना का सोता बहता चले, 
दिग्भ्रमण की की चकरियों से हम पाँव बचाते रहें।

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3 SEP AT 23:49

क्या खूब हो गर,
ये रात कभी खतम न हो,

ख्वाबों में जीती रहे दुनिया,
दिन में जागने का कोई जिकर न हो ।

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3 SEP AT 23:33

कभी यूँ खुशनुमा दिन थे
कि दुख का अंदाजा नहीं था ।

आजकल के दिन कुछ यूँ हैं,
कि उत्साह का नामोनिशान जाने कहाँ है ।

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2 SEP AT 23:15

मन में एहसासों से भरा इक ऐसा तूफान है,
मोहब्बत का,
यहाँ मैं जों ही शब्द लिखना शुरू करता हूँ,
अल्फ़ाज़ मेरे,
रुधिर की तरह सारे शरीर में घूम जाती हैं,
स्मृतियाँ सारी ।

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1 SEP AT 22:14

ये बारिशें
जो बुला रही हैं
पानी संग छप - छप करने को ।

और मैंने भिगा दिया है
पानी की झर - झर में खुद को ।
विचारों की माला में पिरोकर
मन खुशनुमा मौसम को समेट रहा है ।

और डिजिटल लेखनी में
शब्दों का संसार रचा जा रहा है ।
कुछ बंदिशे
कहीं व्यवस्था की बंदगी ।

साहस को खोजती
अंतर्मन की परतों को,
ठिकाने लगाकर
कुछ बोला जा रहा है ।

क्या सुना - किसने कहा,
मैंने लिखा और तुमने पढ़ा ।

पंक्तियां ये अपूर्ण हैं
काफी अस्पष्ट भी,
मेरी ही तरह
मुझपर ही आधारित ।

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31 AUG AT 22:01

वो दिन भी क्या खूबसूरत दिन थे,
जिनकी यादों से मुस्कुराहट यूँ ही आ जाती है ।

आजकल के दिन जाने क्यों मुरझाए हुए से हैं,
जो घंटे - दिन - सप्ताह बिन उत्साह गुजर रहे हैं ।

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28 AUG AT 14:56

बिसरने वाले दिन,
याद रह जाते हैं।

याद रखने लायक दिन,
भूल जाया करते हैं ।

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24 AUG AT 22:59

बारिश
खूबसूरत होती है
जब हम अपनी बालकनी से
निसोच होकर
वाष्पकणों को महसूस करते हैं।

बारिश
खूबसूरत होती है
जब सूखे तालाबों को
वह लबालब कर देती है ।

पर
वही बारिश मुसीबत होती है
जब हम फंस जाते है कहीं ।

और
बारिश मुसीबत बनती है
जब वह अतिवृष्टि बनकर
गांवों/शहरों और बसाहट को
गंदे पानी के समुंदर में बदल देती है ।

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18 AUG AT 23:45

तुमने श्रृंगार की तारीफ की बात कही,
पर मैंने तो सारे नवरस खोज लिए तुम में ।

तुम्हारे विचारों से लेकर बातों - व्यवहारों तक,
तुम्हारे चेहरे से लेकर व्यक्तित्व के गुण - दोषों तक ।

जो भी समाया है तुम्हारे नाम से पहचान की जद में,
मैंने सब कुछ पाया है इस खूबसूरत श्रृंगारिक छवि में ।

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