कभी-कभी दिल को अपनी मनमर्ज़ी करने दे, कभी-कभार यूँ उसे पागल हो लेने दे, अलबत्ता हर कहानी का अंजाम तय क्यों हो? कुछ देर पतंग को माँझे से यूँ बेखौफ़ रहने दे...
साँझ के दिलकश नज़ारे को बस जी लेने दे, सवालों के बीच इसे यूँ दुनिया ना होने दे, रंज-मोहब्बत के नामों में क्या रखा है? इसे यूँ सरेआम बदनाम ही रहने दे...
यूँ बंदिशों में कैद असीर ना होने दे, उड़ने दे, बहने दे, टूटने दे, थिरकने दे, कुछ और होने की ज़रुरत ही क्या है? तू दिल को बस दिल रहने दे, चल रहने दे...
An eve reveals millions of strolling glimpse Like a canvas portrays stunning classical themes. Birds were gliding by singing the chirrup notes, It appears like they were sailing in magical boats. Floating Clouds were mesmerizing the soul, Illuminating the sky, synthesizing the whole. Every moment I felt in the depth of my heart, Incredible sights with horizon aquarelle art. So many castles were there made up of gritty sand, Depicting the tales of each kingdom with a hazel wand. Slowly-slowly the darkness enrolled in the red sky, Gradually everything ends in her hand, with a smiling satisfy
बांके तेरी बाट में बित गई उमरिया। अब तो बापस आईदा मेरो सॉंवरिया।। मैं ब्रज की सादी जुवती तू जहान को मलूक सुआमी। बावरी मैं तेरे पिरैंम की तू पिरैंम को अन्तरजामी।। कहति है मोहिं सखिया मैं भोरी दीवानी हूँ। जानत नहि कोउ बात दिल की मैं सांवरी सयानी हूँ।। चन्दरमुखी-सी सूरत जाकी संजा-सी जिस पै लाली है। बो कृष्णा-कन्हैया मेरो सखी राधा जाकी दीवानी है।।
ये भीगी-भीगी पगडंडियाँ उसकी याद दिलाती हैं, ये बारिश की बुँदे थिरकते संगीत गाती हैं, कैसे कहूँ, ये हाल-ए-दिल की बात उससे... जब कभी मिलना हो उससे, ना जाने कैसे ये बरसात आ जाती हैं।
रब्बा, काश ये हवाएँ मेरा पैगाम ले जाती, परदेश में रहने वाली को मेरी याद दे आती, छोड़ आती मेरी चिट्ठी उसकी छत पर... और सौंधी मिट्टी में मेरे इतर की खुशबू महकाती।
कई अब्रों संग रोया हूँ मैं भी इन वादियों में, छुपा ली हैं कई सिसकियाँ इन दो पल की आवाजों में, दफना तो हमने भी रखे है कई राज़ इस सावन के... यूँ ही तो बदनाम नहीं है बरसात, मोहब्बत की कहानियों में।
बाळपणी, स्वप्नांची साज किती गोड असते, सांद्या मातीसारखी तिला वेगळीच ओढ असते, हातांचा ओंजळ जरी छोट असलं तरी... अपेक्षांच्या मनाला भासाचा किती तडजोड असते.
लहानपणी आजारी असताना मला निसर्गाचा एक गौप्य कळाला, वाटलं, जसं रंगबावऱ्या स्वप्नांना मनमोगरा गंधाळला, माझी पावले जरी लहान असली तरी... स्वप्नांच्या कोरड्या माती वर ध्येयांचा अचूक छाप मिळाला.
आज पहिल्यांदा स्वप्नांला प्रत्येक्षाचे पंख फुटले, रात्रीच्या काजव्याला निःस्वार्थाचे सोय भेटले, 'डॉक्टर' हा जरी आज माझं कृत्य असला तरी... ह्याला कमवायला आयुष्यभर आतुरतेने घाम गाळले.
There is a person in my vision Someone special with beautiful quotation, The reason behind my every reason The intention behind every season...
She cries with my every tear And afraid likes her own fear, I glad that she lives always to my near Showing me the way in this intangible atmosphere...
I can't describe her in such few words of vocabulary Just like an unpredictable sweetness of juicy blueberry, Even I tries to narrate her in my unworthy poetry Having endless stories with my special fairy...
किसी नूर के अरमानो में सारी रात जागा करने से, उसे पाने की मिन्नतें नहीं किया करते... ये चमक यूँ ही नहीं सजती आसमां में रहगुज़र, वो पल-पल मरने वाले जीने की ख्वाइश नहीं किया करते...।
फासलों के फलसफे फसलो में रह जाते है, नजदीक आना, हर किसी की नजाकत में नहीं होता.. कितना ही बड़ा सैयारा क्यों ना हो वक़्त का, वक़्त से परे मेहरबा, वक़्त का कोई मोल नहीं होता...।
तसव्वुर कर तसली मिल जाने से, सिर्फ राते कट जाती है... लाख किसी को चाहने से कुछ नहीं होता यहाँ साहिबा, खुलती आँखें सिर्फ सपने छोड़ जाती है...।
मैं सुलझा रहा हूँ अपनी मुश्किलें हर उलझनों से परे, कोई तो शिकायत दफ्न हैं इन शमशानों के परे, बेसबब नहीं ऐसे ही मेरी कहानी इन आशियानों में... यूँ ही नहीं होता घना ये आसमां बदलो से परे।
अक्सर मौत का साया लेकर घूमता हूँ इन काफिलों में, कभी तो कोई दुआ क़बूल हो खुदा की मजारों में, हताश हूँ अपने आप में ए खुदा इस कदर... कभी-कभार सोचता हूँ क्यों पेश करता हूँ ये नमाज़ बेजानो में।
कभी तो मेहरबा हो हमपर खुदा अज़ीज़ो की तरह, कभी तो पूरी हो ये मन्नत तिलिस्मी बरकतों की तरह, थक चुका हूँ अब क़ुरानो को पढ़ते-पढ़ते ए मौला... आज भी बैठा हूँ तेरे दर पर गुमनाओ की तरह ।