लिखा है बहुत कुछ लोगो ने आज अपने पापा के लिए,
मेरे कागज़ हर साल कि तरह वीरान है
प्यार जताया जो पापा ने उनकी खामोशियों से,
उनके लिए कहाँ कोई अल्फ़ाज़ है
ना परी बताया मुझे कभी,
ना ही बनी मैं उनकी लाड़ली कभी,
मगर सर पर जब भी हाथ रखा,
कर दिया इन सारी शिकायतों को बईमानी
है हख मिले कम मुझे,
मगर दुआएं सबसे ज़्यादा मिली,
सर फक्र से शायद ऊंचा ना कर पाऊं
मगर ना जुकाउंगी आपकी नज़रे शर्म से कभी
माँ ने दी ये ज़िन्दगी मुझे,
तो अपने सारी ज़रूरते पूरी की
और कुछ ना मांगू और कभी
बस लंबी उम्र हो 'पापा' आपकी
© तरपल
- तरपल