Devika Gandhi Parekh   (तरपल)
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Joined 11 April 2017


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Joined 11 April 2017
18 NOV 2022 AT 9:42

प्यार की बातें बहुत लिखी हमने,
चलो अब थोड़ी सी ज़िन्दगी, हक़ीक़त के साथ जी ले हम

© - तरपल

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15 NOV 2022 AT 13:23

दर्द को कहा मिलती है वो तवज्जो आज कल,
सुना है आँसुओ का बोलबाला है

© - तरपल

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3 NOV 2022 AT 8:45

उनको सही किया है हमने,
अपने आप को गलत कर के
ऐसे ही किया है हमने इश्क़,
उनको अपनी ख्वाहिशो से पेहले रखके

© - तरपल

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1 NOV 2022 AT 8:29

मासूमियत से भरा मिलेगा,
कमरा बच्चों का जो बिखरा हुआ मिलेगा

© - तरपल

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12 OCT 2022 AT 13:35

खैर मांगी है उसकी, जो इस दिल के करीब है
कहता है खफ़ा नहीं, फिर भी आंखों में नमी है

© - तरपल

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8 OCT 2022 AT 11:47

बंदिशों ने क्या कमाल किया है,
कितनी है मोहब्बत तुझसे इसका सुबूत दिया है

© - तरपल

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7 OCT 2022 AT 9:14

हक़ीक़त अच्छे दाम दे रही है,
सोच रही हूँ बेच दूँ अपने ख्वाब सारे

© - तरपल

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15 MAR 2022 AT 13:10

एहमियत यहाँ अना की है,
लोगो का क्या है वो तो आते जाते रहते है

अना - ego

© तरपल

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9 FEB 2022 AT 17:19

उसके बिना गुज़रा है वक़्त,
उसके साथ जिये हो जैसे

© - तरपल
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8 FEB 2022 AT 14:57

ये आरज़ू भी बदतमीज़ हो चली है,
याद भी उसे करती है जिसे भूलने की बेहद कोशिश की है

© - तरपल
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