26 JUL 2017 AT 22:38

इन कागज़ों की बोली मोहब्बत है,
इन अल्फाज़ो में छुपी दर्द की नमी है

डाकिया लाता है बरसों से अनसुनी कई दास्तान

©Devika parekh

- तरपल