घिस गयी ज़बान गमों को बेचते बेचते, फिर पता चला बाज़ारों में तो ख़ामोशी ही बिकती है©Devika parekh2017 - तरपल
घिस गयी ज़बान गमों को बेचते बेचते, फिर पता चला बाज़ारों में तो ख़ामोशी ही बिकती है©Devika parekh2017
- तरपल