20 NOV 2017 AT 14:18

दिलों जान लूटने को,
जी चाहता है
इस हारी हुई ज़िन्दगी को,
फिर से हार जाने को जी चाहता है
कौन सा आबाद था मैं पेहले,
आज फिर से तेरी यादों में,
बर्बाद होने को जी चाहता है

©Devika parekh 2016

- तरपल