दिलों जान लूटने को,जी चाहता हैइस हारी हुई ज़िन्दगी को,फिर से हार जाने को जी चाहता हैकौन सा आबाद था मैं पेहले,आज फिर से तेरी यादों में,बर्बाद होने को जी चाहता है©Devika parekh 2016 - तरपल
दिलों जान लूटने को,जी चाहता हैइस हारी हुई ज़िन्दगी को,फिर से हार जाने को जी चाहता हैकौन सा आबाद था मैं पेहले,आज फिर से तेरी यादों में,बर्बाद होने को जी चाहता है©Devika parekh 2016
- तरपल