अगर मोहब्बत का तराज़ू होता,तो हमारा पलड़ा ही भारी होता,इश्क़ के गुनहगारों में,हमारा नाम भी शामिल होता,इतनी की है उनसे मोहब्बत,कि हमे सिर्फ फाँसी नसीब होती,सुन ऐ बेखबर,तेरे लिए ये कहर भीसर आँखों पे होता©Devika parekh - तरपल
अगर मोहब्बत का तराज़ू होता,तो हमारा पलड़ा ही भारी होता,इश्क़ के गुनहगारों में,हमारा नाम भी शामिल होता,इतनी की है उनसे मोहब्बत,कि हमे सिर्फ फाँसी नसीब होती,सुन ऐ बेखबर,तेरे लिए ये कहर भीसर आँखों पे होता©Devika parekh
- तरपल