13 FEB 2018 AT 21:08

अगर मोहब्बत का तराज़ू होता,
तो हमारा पलड़ा ही भारी होता,
इश्क़ के गुनहगारों में,
हमारा नाम भी शामिल होता,
इतनी की है उनसे मोहब्बत,
कि हमे सिर्फ फाँसी नसीब होती,
सुन ऐ बेखबर,
तेरे लिए ये कहर भी
सर आँखों पे होता

©Devika parekh

- तरपल