तेरे लबों पे ये हसी जचती है,
हक है तुझे खुशी पे,तू खुश रहा कर,
मां, बेटी, बहु, बहन कोई भी नाम हो तेरे,
तू बिना हिचकिचाहट के सारे बंदिसें तोडा कर,
हक है तुझे खुले आसमान पे,तू पंख फैलाए उड़ा कर,
जीया हमेशा दूसरो के लिए ही,कभी खुद के लिए भी सोचा कर,
हक है तुझे अपने जिंदगी पे,बेखौफ तू जीया कर,
ये रिवाज,परंपरा,समाज दुनिया की बातें तो जन्मों तक चलती रहेगी,
हक है तेरे ये धरती पे,तू खुद के साथ न्याय कर,
उठेंगे सवाल कई बार तेरे रंग,ढंग, उठना, बैठना, चलना, बोलना सब पे,
हक है तुझे इन सवालों पे,सारे सवालों का जवाब तू बिना परवाह के दिया कर,
तुझे हक है सपने बुनने की,तू हर मैदान फतेह कर,
तू औरत है,तेरे लिए अलग ही पैमाने बने है यहां,
तुझे हक है आगे बढ़ने की,तू अकेला कदम बढ़ाया कर,
हर बार दुश्मन मिलेंगे तुझे, कही मर्द और कही खुद औरत,
हक है तुझे अपना पक्ष रखने की, डटके तू सबका सामना कर,
तू ही दुर्गा,तू ही काली है,पहचान खुदको एक बार,
हक है तुझे खुद पर,खुद कि जिनमेदारी तू खुद ही उठाया कर,
ये मासूम सी हसी जचती ही तुझ पे,
तू खिलखिला के खुल के हसा कर।
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