मानता हूँ दूर हूं बहुत अपनों से मैं
पर इतना अकेला रहने का भी हकदार नहीं
दूरियां दरियों से भी ज्यादा हैं दरमियां हमारे
पर रिश्तों में औपचारिकताओ का भी हकदार नहीं मैं
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राधे राधे
मेरी आप ... read more
अब कोई पूछने वाला तक नहीं की
कैसे हो
कि कैसे जी रहे हो या खुश भी हो
कि तुम क्या चाहते हो
कि तुम जिंदगी जी भी रहे
सबको अपनी अपनी पड़ी है
सबके अपने अपने स्वार्थ हैं
जिसके हिसाब-किताब में सही बैठ ना पाए
उन सबने मुँह फेर लिया
जो साथ है भी वो भी बस नाम के
खैर मैं इसी लायक हूं भी
खुद से खुद को बर्बाद किया हूं-
अंतर्मन में द्वंद चल रहा
मन:शांति का प्रयास कर रहा
सुकून मिले कैसे कुछ तो उपाय बताओ
मैं अब परम शांति का विचार कर रहा
भक्ति भी कर रहा
साधना भी कर रहा
व्यथित से इस मन के लिए
हर प्रार्थना भी कर रहा
व्यस्त किया मदमस्त किया
पा जाऊँ थोड़ा सुकून
इस खातिर मैंने
उपलब्ध हर उपाय किया
खुद को पा जाऊँ ऐसा कुछ उपाय बताओ
सुकून से सो जाऊँ ऐसा कुछ प्रयास बताओ
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मै शहीद हुआ हूं कोई आंसू ना बहाना
मेरे वीरगति का सिर्फ जश्न मनाना
मेरी अन्तिम यात्रा में भगवान नहीं
बस भारत माता की जय का नारा लगा देना-
बातें करनी होती हैं उनसे
बहुत सारी....
पर उनके सामने आते ही
चुप हो जाता हूँ
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अकेलेपन का आलम अब इतना
हो गया हैं जनाब...
कि अब खुद से बाते किए भी
एक अर्सा बीत गया हैं-
सब कुछ लुटा दू तुझ पर
तेरी मुस्कराहट पर ऐ जिंदगी
तू एक बार कह तो सही
ये जिन्दगी क्या है मेरी जिंदगी-
ख़ुद को सौंप दिया तुमने
अब मांगूं ही क्या मेरी संगिनी
आईना हो तुम मेरी जिन्दगी का
कुछ मांगू तो शर्मिंदा होगी परछाई मेरी-