अस्तित्व में आनंद में रहो....
दुःख में ध्यान में रहो....
ॐ-
मैं वो हूँ जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है... शब्द मेर... read more
ॐ
अपने निस्वार्थ के चलते आज का मानव किसी हद तक जा सकता है,
मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन है।
ॐ-
कोई भी मित्र जब बहुत प्रिय हो जाता है,
फिर वहां भावनाएं जन्म लेती हैं,
जब दोनों मित्र एक दूसरे की भावनाएं समझने लगते हैं, फिर वह परम मित्र बन जाते हैं ।।-
Sabse achha dost Hamra Sharir jitna achha ese rakhoge utna hi achha tumhe ye rakhega esliye khud se pyar karo
Om-
थक गया हूं सफर करते करते
ज़िन्दगी को बसर करते करते...
किस काम की वो प्रार्थना मेरे ईश्वर..
जो सदियां लगादे असर करते करते !!
मै जब भी उठता हूं कदम सीना ताने !
अपने रह जाते है हमसफ़र बनते बनते !!
किसी दिन तो लौटेगी मेरी सदा गूंज बनके !
दीवार जो बन गया हर कदम गिरते गिरते !!
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मैं सोचता हूँ, कि मुझे कोई समझे , पर मैं ये भूल जाता हूँ, आखिर कौन है?..
तेरे मां-बाप के और साथ खुद के सिवाए, और हाँ अगर तू अपनी परछाई को सोचता है ,कि ये है ,मेरे साथ, तो ये भी गलत, तेरी परछाई अंधेरा होते ही तेरा साथ छोड़ देती है, जो कि तेरे साथ उजाले तक रही ,और अँधरा होते ही छोड़ गई, फिर क्यों परेशान , तो फिर तू औरों से क्यों उम्मीद करता है,जो तेरी हर बात मानेंगे, नहीं न, क्यों परेशान हो रहा है, बस खुद को समझा और खुद से प्रेम कर, और खुश रहें, खुद से दोस्ती करले, और संसार के मजे ले..
ॐ-
अकेला होना भयावह है ,
मेरा मतलब
अकेले रहने से नहीं है ..
अकेले का मतलब है ,
जहाँ कोई तुमको
नहीं सुनता....
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अच्छे के साथ ही बुरा क्यों होता है ॐ
अच्छे होने के दो कारण हैं या तो आप अच्छे हैं या आप अच्छे फल के लिए अच्छे हैं ॐ
आप अच्छे हैं तो बुरा कभी होता नहीं और अच्छे फल के लिए अच्छे हैं तो बुरा अनुभव प्रखर रहेगा ,
ॐ-
किसी पर भी अटूट विश्वास करना भी,
एक गुनाह है,
क्यों कि आप अपने आप को ही चोट पहुँचाते हो...-