सजा सकता हूं हर कोना दर-ओ-दीवार फूलों से,
मगर खुश्बू यहां उसके तबस्सुम से ही मुमकिन है।-
Remember the past🙋
Make your present🎁
Prepare for future🔮
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दूर दूर तक दश्त दिखा मैखाने में,
जैसे भरी हो रेत मेरे पैमाने में।
हम थे रुके इक मुद्दत यूं की मालुम था,
देर लगाती हो तुम अक्सर आने में।-
क्या सितारे क्या किनारे क्या उफूक-ए-चांदनी,
सैर-ए-दरिया बिन तुम्हारे लुत्फ़ कुछ लाती नहीं।-
तू है मगर हैं और भी तुझसे हसीन लोग,
हुस्न-ओ-जमाल से परे दिलकश मुबीन लोग।
तेरी तरफ़ है भीड़ और मेरी तरफ़ है सच,
करते हैं अब है देखना किस पर यकीन लोग।
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जाने वाले तो चले जाते हैं आसानी के साथ,
उनकी खुशबू घर से लेकिन मुद्दतों जाती नहीं।-
ग़ज़ल में बयां गम हुआ ही नहीं,
अभी जी सो इससे भरा ही नहीं।
उदासी की बारिश में भीगा मकीं,
चराग़-ए-मकीं फिर जला ही नहीं।
तेरी याद संग-ए-दिल-ए-रहगुज़र,
रही यूं लगा तू गया ही नहीं।-
ग़मगुसारों से बनाया फासला मैनें,
और फ़िर इक उम्र इसका ग़म किया मैनें।-
तुम्हें देखें या देखें आइना हम,
जुदा दोनों का जब हासिल नहीं है।-
बारहा डायल पे नंबर लिख के तेरा,
सोचता हूं क्या करूं क्या ना करूं मैं।-
कहां जाऊं जो तुम ठुकरा रही हो,
की दिल पहले ही सब ठुकरा चुका है।-