Devesh Srivastav   (देवेश)
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Joined 24 December 2017


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14 JAN 2022 AT 1:27

सजा सकता हूं हर कोना दर-ओ-दीवार फूलों से,
मगर खुश्बू यहां उसके तबस्सुम से ही मुमकिन है।

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15 NOV 2021 AT 22:58

दूर दूर तक दश्त दिखा मैखाने में,
जैसे भरी हो रेत मेरे पैमाने में।

हम थे रुके इक मुद्दत यूं की मालुम था,
देर लगाती हो तुम अक्सर आने में।

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12 NOV 2021 AT 22:03

क्या सितारे क्या किनारे क्या उफूक-ए-चांदनी,
सैर-ए-दरिया बिन तुम्हारे लुत्फ़ कुछ लाती नहीं।

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11 NOV 2021 AT 19:59

तू है मगर हैं और भी तुझसे हसीन लोग,
हुस्न-ओ-जमाल से परे दिलकश मुबीन लोग।

तेरी तरफ़ है भीड़ और मेरी तरफ़ है सच,
करते हैं अब है देखना किस पर यकीन लोग।

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8 NOV 2021 AT 9:42

जाने वाले तो चले जाते हैं आसानी के साथ,
उनकी खुशबू घर से लेकिन मुद्दतों जाती नहीं।

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21 OCT 2021 AT 19:18

ग़ज़ल में बयां गम हुआ ही नहीं,
अभी जी सो इससे भरा ही नहीं।

उदासी की बारिश में भीगा मकीं,
चराग़-ए-मकीं फिर जला ही नहीं।

तेरी याद संग-ए-दिल-ए-रहगुज़र,
रही यूं लगा तू गया ही नहीं।

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20 OCT 2021 AT 15:30

ग़मगुसारों से बनाया फासला मैनें,
और फ़िर इक उम्र इसका ग़म किया मैनें।

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12 OCT 2021 AT 22:17

तुम्हें देखें या देखें आइना हम,
जुदा दोनों का जब हासिल नहीं है।

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12 OCT 2021 AT 22:15

बारहा डायल पे नंबर लिख के तेरा,
सोचता हूं क्या करूं क्या ना करूं मैं।

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25 SEP 2021 AT 21:44

कहां जाऊं जो तुम ठुकरा रही हो,
की दिल पहले ही सब ठुकरा चुका है।

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