Devesh Pra   (Devesh Pra)
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Joined 13 November 2017


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Joined 13 November 2017
3 FEB 2023 AT 1:33

तुझको मन भर के देखू, ये मुमकिन ही कहा..
जितना भी देखू मन भरता नहीं है।
ना नगमे ना गज़लें, जबसे तुझको सुना है..
कुछ सुनने को दिल करता नही है।
ये जाम ये शराब, इनका क्या मैं करूं,
तेरी आंखों का नशा जो उतरता नही है।
तुझे छू लेता हूं तो चमक जाती है सूरत,
वरना ये चेहरा सवारता नही है।
कुछ तो कलाकारी हैं इश्क की तेरी मुस्कान में,
बेवजह ये रंग बिखरता नही है।
बिगड़ कर तुम्हारे प्यार में शरारत करता है दिल,
कितना भी समझाऊं सुधरता नही है।
कहता है दिल, की तुझे मन भर के देखना है,
पर जितना भी देखू मन भरता नहीं है।

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30 JAN 2023 AT 2:42

यूं तितली की तरह आकार करी दुनिया मेरी रंगीन,
तेरी बातें तेरा चेहरा, तेरी आंखे तेरा होना,
भला क्या मिसाल दूं, सब कुछ ही तो बेमिसाल है।
हजारों है तुझमें खूबियां, पर तेरी नाराजगी कमाल है।

चाहे बेरुखी की मुस्कान हो,
चाहे बाते कि जैसे अंजान हों,
हस देना कि कुछ हुआ नहीं,
कुछ गलत भी मैने किया नही,
कभी जब देर मैं करदू, तो कहना कि जरूरत नहीं,
तेरी धड़कन में मेरा होना, हर बात मेरी ही बात है
फिर भी है क्यों फिर दूरियां, ये सबसे बड़ा सवाल है।
लिहाजा प्यार हमसे है, पर तेरी नाराजगी कमाल है।

कभी यूं रूठ कर जाना हो,
कभी पास रहकर जताना हो,
पल में मुंह बना लेना,
या कभी आंसू बहा देना।
तू मुझसे रूठ जाए तो, मना भी ले तुझे,
तू जो बात न करे तो जीना ही बहुत मुश्किल,
बेपरवाही से ही तो अपनी, हम हुए इतने बेहाल है,
दिखावट की हसी में छुपी, तेरी नाराजगी कमाल है।

तुझे मैं कितना प्यार करूं,
अब इसका क्या इजहार करूं,
एक दिन बस ऐसा भी आए,
ये जीवन तुझमें ढल जाए,
शायद न कोई कर पाता तू मुझसे जो मुहब्बत करती है,
है प्यार तो मुझको भी लेकिन कुछ चीज बिगाड़ मैं देता हूं,
और एक तू है जिसको कि, हर पल में बस मेरा खयाल है।
हर दुख में मेरे साथ है तू, पर तेरी नाराजगी कमाल है।

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7 OCT 2019 AT 16:21

I grab a cup of coffee and start thinking about her.,❤️

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29 OCT 2021 AT 0:06

परिभाषित यदि शब्दो में, मैं कभी प्रेम को कर पाता,
कागज़ पर लिखकर नाम तेरा, फिर बार बार उसे दोहराता।

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13 MAY 2021 AT 12:12

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21 MAR 2021 AT 1:27

तुम हाथ थाम कर चलते रहो,
मंजिल तक जाएंगे वादा है।
पूरा होगा हर एक सपना,
भले आज सब आधा है।

मैं कान्हा न सही वृंदावन का,
न तू वृश्वहान की राधा है..
है प्रेम तो फिर भी पावन सा,
बिलकुल ही सीधा सादा है।

न कोई प्रेम में दुविधा है,
न मन में शंका कोई बाधा है..
तुम हाथ थाम कर चलते रहो..
मंजिल तक जाएंगे वादा है।

तुम साथ चलो, हम साथ चलें,
आओ... तुमसे एक बात कहें...
हम अक्षर अक्षर पढ़ते हैं जिसे,
तू प्रेम की वो परिभाषा है।
तुम हाथ थाम कर चलते रहो,
मंजिल तक जाएंगे, वादा है।

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21 MAR 2021 AT 0:47

Knowledge can surely make
us a more practical person
and create an illusion that
we don't require affection,
and emotions and make
us believe that these things
are nothing but "Hokum".

But, No amount of knowledge
can replace the need of love.
The only thing it does,
is making us believe that
it's not necessary.

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2 OCT 2020 AT 7:44

A small letter to all the motivational speakers, philosphers and positive influncers..

"You're all fraud."

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2 OCT 2020 AT 0:41

When we don't understand the bona fide meaning of our certain emotions then we just call them as a chemical reaction in the brain. Because that's what been taught to us by some intellectualists.

It is indeed a chemical reaction....

But what controls it lies outside the brain which we never really get to realize.
And that's the real reason for having the emotions.

We don't think much about that due to our ignorance or sometimes we're just so much covered by the pain that comes with it, that we don't bother to think.

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25 JUL 2020 AT 15:47

अब तो तेरी सांसो से ही, सांसे मेरी चलती है..
तुझसे ही खामोशी मेरी, मुस्कान में आकर ढलती है..
गर जो तू ही रो जाएगी,.. तो फिर कैसे जी पाएगे??
तेरे बिन तो ऐ पगली, धड़कन भी मेरी थमती है।

क्या सावन, बरसात ये क्या!.हर मौसम तू ही रहती है....
तेरे गम से , तेरे आंसू से, बेताबी बढ़ती रहती है..!
तेरी खुशियों के खातिर ही, हम जीते है, मर भी जाएगे..
मुझसे ज़्यादा तो जान मेरी, आए जान तुझी में बसती है।

ये इश्क़ हुआ जो तुझसे, खुद से भी जो था हुआ नही..
दर्द है हर एक धड़कन में, पर तुझसे तो कोई गिला नही.
चल मान लिया ये भी मैंने, तेरे काबिल बन न पाया मैं,
पर मान यकीन तू भी इतना, तेरे सिवा किसी का हुआ नही...।

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