दिल तुम्हारा सीसे का है " देव "
टूटना लाज़िम है, पत्थर के जमाने में,
मुक़द्दस मोहब्बत मिलना मुश्किल है " देव "
अगर ढूंढोगे, बेवफाओं के जमाने मे।।
~Devvv-
एक शख्श मुझे खूबसूरत लगता है ,
ताज सा है,
फिर तो ताज देखना ज़रूरी लगता है।।
एक शख़्श मुझे ख़्वाब सा लगता है,
जैसे कोई हसीन ख़्वाब,
फिर तो ख़्वाब में खोना ज़रूरी लगता है।।
~@Devvv-
यूँ ही अगर कुछ मिल जाये तो
बात कहा होती
तुम्हारा भी चाहने वालो
में नाम कहा होती ,
अरे! " देव " खुद को खुद ही रहने दो ना
दुसरो सा होने में
खुद का नाम कहा होती।।
रोज जियो जीभर के
कल का क्या, न जाने क्या होगा ,
मुस्कुराओ जीभर के
उदासी का क्या, आज है कल गुम होगा ।।
ये आलम यूँ जा रहा है , मत जाने दो
इसे निचोड़ो , इसे मत बहाने दो,
कल फ़ुरसत में खुद से मिलो तो
फुले समाओ, खुद को गले लगाने दो।।
_@Devvv
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ये ख़्याल की बात है ख़्याल ही रहने दो ना
जिंदगी में उसका आना जरूरी है क्या ।।
वो ख़ुश है वहाँ तो रहने दो ना
उसका होना जरूरी है क्या ।।
फ़िलहाल वक़्त-ए-रुख़्सत भी कट जाएगा
यूँ इससे जल्दबाज़ी करना जरूरी है क्या ।।
याद आती है किसी की तो
कोई दूसरा फ़साना ढूंढो
यूँ उदासी में डूबना जरूरी है क्या ।।
दस्तूर में होगा हमारा मिलना तो
हम मिल लेंगे, वक्त-वेवक्त
अभी खिलाफ़-ए-दस्तूर जाना जरूरी है क्या ।।
" देव " हाल-ए- दिल मज़रूह किये बैठे हो
अभी एक अज़ाब कुरेदे हुए बैठे हो,
फिर दूसरा कुरेदना जरूरी है क्या ।।
_@Devvv
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शहर में सहर कब देखा है
शाम कितना बेख़बर देखा है ,
अभी अभी आये है शहर
अभी कहा कुछ देखा है ,
धीरे धीरे लत लग जायेगी
ऐसा नशा कहा देखा है ,
आसमानी इमारतें
तंग करती सीढिया देखा है ,
मेरे हिस्से का चुराते धूप
बेरोशनी दम घुटते देखा है ।
विकास का नया फ़साना
झूठे वादों का दीवाना देखा है,
फाइलों में करतब करती कारनामे
बदबूदार नालियाँ देखा है ।।
जन्नत का दर
सपनों का मुक़म्मल हमसफ़र देखा है ,
चैन छीन ले जो ख़्वाब
ऐसा सुकुन-ए-क़ल्ब देखा है ।।
~@Devvv-
हुनर ...
बेरोजगारों के फेहरिस्त में नाम था मेरा
चंद पैसों से कुचला गया है फन मेरा ।।
जिंदगी गुलजार थी जिसके आगोश में
वक्त के साथ मिटता गया हुनर मेरा ।।
घरौंदे बनाने के फिराक में उम्र गुजर गया
न जानें कहां दफन हुआ, ये इलम मेरा ।।
अब तो खुद से नजरें मिलाने में शर्म आती है
जिस पर गुमान था, कैसे धूमिल हुआ यह फख्र मेरा ।।
दोस्त मुझे जिसके नाम से जानते थे
धीरे-धीरे बदलता गया, वो नाम इस कदर मेरा ।।
~@Devvv
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मयख़ाना ।।।
सुबह-सुबह तेरे आशिक़ तेरे दर पे
तेरे दर खुलने का इंतेजार करते है,
तुझसे कितनी मोहब्बत है इन्हें
तुझे पीकर सोते है मगर
फिर भी सुबह तुझसे मिलने को बेकरार रहते है ।।
तेरे आशिक़ तेरे गलियों से निकलते है
सर झुकाते , तुझे दुआ, सलाम करते है ,
दिन मुक़म्मल हो
इस कदर तेरा नाम लेकर शुरुआत करते है ।।
तेरी तलब का असर कुछ यूं है
तुझसे मिलकर काम-धाम करते है ,
तू क्या जाने, तू क्या है उनके लिए
तुझे महबूबा, मोहब्बत का नाम रखते है।।
तेरा नाम गलियों में इस कदर फैला है
लोग कहते है, हवा में गुलाब फैला है ,
" देव " को भी तेरी आदत लग गयी है
लोगो के बीच , ये कैसा अफ़वाह फैला है ।।।
~@Devvv
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दर्द का व्यापार कितना बड़ा है ना " देव "
हर रोज कितने लुटाए जाते है, मिटाने के लिए ,
फ़क़त ये आरजू रहती है , शायद ये दवा कुछ असर करे
मगर फिर भी कोई मुक़म्मल इलाज़ ना मिलता,
मिटाने के लिए।।
~@Devvv-
मुझें शहर में भी तन्हाई सताती हैं,
गाँव मे कुछ गाँव सा नही रहा
सारे दोस्त जवाँ हो गए
नींदे भी तो अब देर से आती है।।
वक्त को खरीदना पड़ जायेगा
की जीभर दोस्तो से गुफ़्तगू हो,
यूँ तो सारे के सारे नए की तलाश में है
भला पुराने की किसे ज़ुस्तज़ु हो ।।
यूँ मुस्कुराना भी दूसरे को देखकर पड़ता है
खुद को आईने में देखकर कब मुकुराया था,
खुद से मोहब्बत तो रही नही फ़िलहाल
कब ख़ुद से इश्क़ फरमाया था।।
इस भागदौड़ सी जिंदगी में
किसको किससे मतलब है ,
वक्त की बात है , वक्त नही है ,
किसको किससे चहल-पहल है ।।
मुझें शहर में भी तन्हाई सताती हैं,
हथेलिया देर रात तक
मोबाइल के स्क्रीन पे टहलती रहती है ,
जब तलक आँखे थक के चूर चूर ना जाये
तब तलक किसी की यादें मचलती रहती है।।
~@Devvv
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जो मोहब्बत में होते है
पास उनके ख्वाबों का ढेर होता है,
और जेबें खाली ।
जो मोहब्बत में होते है
उनकी रात देर से होती है ,
और सुबह जल्दी।।
~@Devvv— % &-