20 MAY 2022 AT 4:12

न वित्तं दर्शयेत्प्राज्ञः कस्यचित् स्वल्पमप्यहो |
मुनेरपि वनस्थस्य मनश्चलति दर्शनात्

विद्वान व्यक्तियों को अपने धन का प्रदर्शन ( दिखावा ) चाहे वह स्वल्प ( बहुत थोडा ) ही क्यों न हो कभी नहीं करना चाहिये |
अहो ! वनों में निवास करने वाले त्यागी ऋषि मुनियों का चित्त भी उसे देखने मात्र से ही भ्रमित और विचलित हो जाता है |

Noble and righteous persons should refrain from displaying their wealth, even how much meagre it may be. Aah ! even the sages and monks living an austere life in forests become confused and go astray by seeing it.

- संस्कृतानुरागी