कृतार्थः स्वामिनं द्वेष्टि कृतदारस्तु मातरम् ।
जातापत्या पतिं द्वेष्टि गतरोगाश्चिकित्सकम् ॥
जो (धन से) संतुष्ट हो गया है वह सेठ से द्वेष करता है, स्त्री मिलने पर पुत्र माँ से, अपत्य मिलने पर पत्नी पति से, और रोग मिट जाने पर रोगी वैद्य से द्वेष करने लगता है (उन्हें दुर्लक्ष करने लगते हैं) ।
One who is satisfied (with money) hates the Sheth, the son on getting a woman hates the mother, the wife after getting the child, and the sick Vaidya when the disease is eradicated- संस्कृतानुरागी
28 MAY 2022 AT 5:21