Devendra Kumar Dev  
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Medical student ,
Joined 6 June 2020


Medical student ,
Joined 6 June 2020
3 FEB 2022 AT 9:00

सुनो!मेरा एक काम करोगे क्या?
इस महफ़िल में मुझे बदनाम करोगे क्या?
शादियों का मौसम है,व्यवस्थाएं सारी हैं;
थोड़ा!पीने का इंतजाम करोगे क्या?

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14 JAN 2022 AT 13:59

बड़ा सब्र है तुम्हें फिर सब्र क्यों नहीं करते।
बात करने का मन है फिर मैसेज क्यों नहीं करते।
मेरी हर व्यस्तता का तुम सबूत मांगते फिरते हो,
क्या तुम औरों की तरह शक नहीं करते?

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12 JAN 2022 AT 11:51

सबका अलग अलग दायरा है खुशियों का,
कोई कागज की नाव चलाकर खुश है,
तो किसी को समंदर की कश्तियों में भी सुकूँ नहीं मिलता।।

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27 DEC 2021 AT 13:45

मशक़्क़त बड़ी की ,कि मेरा नाम अखबार में न आ जाये।
जो बिना लड़े हार जाए, मेरा नाम उनके किरदार में न आ जाये।।

ए-खुदा चेहरा ठीक है,मन को देखने की भी कोई नजर दे।
फिर कोई शख़्स भरोसा बेंचने ,बाज़ार में न आ जाये।।

वफ़ा की क़ीमत, अगर हर क़ीमत से ज़्यादा हो।
फ़िर क्या मज़ाल कोई गौरी पृथ्वीराज के दरबार में आ जाये।।

पहले क़ामयाब बनो ,मोहब्बत की बात तभी करना।
कहीं तुम्हारा नाम भी किसी मजार पर न आ जाये।।

ये जो चुनाव आ रहा है ,वोट सोंच समझ कर देना।।
कहीं कोई पप्पू बहुमत की सरकार में न आ जाये।।




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18 DEC 2021 AT 11:15

ये कैसा रिवाज़ है ए -खुदा इस जमाने में?
लोगों के जन्मदिन पर मोमबत्तियां बुझायी और मरने पर जलायी जाती हैं!

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15 DEC 2021 AT 14:45

सब अपने काम में माहिर हैं शिकायत का मौका कौन देगा?
सरहदें सब सुरक्षित हैं बगावत का मौका कौन देगा?
हैं दुश्मन घात पर बैठे निशाना तीक्ष्ण है तुम पर,
जो करना है पहली दफ़ा करो दोबारा मौका कौन देगा?

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15 DEC 2021 AT 11:25

करूँ मैं हर फतह हाँसिल ये मुझमें दम नहीं होता।
है उनकी सरपरस्ती तो जहन में ग़म नहीं होता।
मां के पैरों में जन्नत है किताबें हैं यही कहती,
पिता का क़िरदार भी फ़रिश्ते से कम नहीं होता।।

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7 DEC 2021 AT 15:18

शिकायत हर किसी को है नेताओं से, पर इत्तिला कौन करे?
कहीं नाम मेरा न आ जाये ,अब ये मसला कौन करे?

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7 DEC 2021 AT 11:37

है शिद्दत अगर चाहत में तो फिर आफ़ताब बनो।
चराग अक्सर हवाओं से बुझ जाया करते हैं।।

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2 DEC 2021 AT 20:38

वो दर्दनाक दृश्य मेरी आंखों से ओझल ही नहीं होता।
जब जंगल का राजा चिड़ियाघर में अपनी आज़ादी के लिए तड़प रहा था...

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