" माँ "
मंजिलों को ढूंढते कहा खो गये है हम..!!
मुड़ कर देखा तो कहाँ खो गए अपने...!!
आखिर इतने बड़े क्यु हो गये है हम ...!!
दिन भर काम के बाद जब घर आता हूं ...!!
तो पाप पूछते है....!!
*------कितना कमाया -------*??
बीबी पूछेगी ...!!
*--------कितना बचाया-----*??
बच्चें पूछेंगे....!!
*-------किया लाये -----*??
पर माँ पूछेगी ...!!
*------बेटा कुछ खाया-----*????
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मुझे किसी की जरूरत नहीं
इसको अहम कहते हैं और
मेरी जरूरत सबको है
इसको वहम कहते हैं
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कोई बात करे तो ठीक न करे तो ठीक
इस वाले राह पर सवार हो गया हू मै
लोगो को लगता है मुझमें गुरुर आ गया है
मुझे लगता हैं समझदार हो गया हू मै-
आज अचानक उसे मेरी याद आई है
लगता है कोई मुसीबत उसके पास आई है
यू तो याद नही करती वो वज़ह मेरी
कोई तो वज़ह है जो उसे मेरी याद आई
अब किया इलाज करू उसके दर्द का भला
मैने तो खुद इस दर्द की दवा मंगवाई है
अब किया फायदा तेरे वापस आने का
जिस्म से जुदा होकर कभी रूह वापस आई है-
शायद हमारा किस्सा आगे बड़ना ही न था
शायद तुमको मेरी दुल्हन बनना ही न था
शायद तेरे नाम के पीछे मेरा नाम जुड़ना ही न था
शायद तेरे हाथ का खाना मुझे चखना ही न था-
तेरी याद हर रोज आती हैं
पर तेरा नाम न लूंगा
लिखूँगा हर शायरी तेरे लिए
पर तेरा नाम न ले पाऊँगा-
अजीब दास्ता है तेरी यादों की
न सोने न जागने देती हैं
बस रोने की इजाजत देती हैं
खत्म हो गई हमारी कहानी अब तो
बस कुछ यादों के अलफाज बाकी हैं
हमारी अधूरी कहानी की
मुक्कमल याद बाकी हैं
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याद तुम्हारी मुझे इस कदर सताती है
गुज़रती शाम भी दिल पे गुज़र के जाती है-
जब छोटे थे तो कुछ बाते भूल जाया करते थे
अब बड़े हुए तो हर बात याद रहती हैं
और लोग कहते हैं भूलना सीखो-