Devender Tyagi   (तृषित)
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Being 'humble and simple' is real happiness
Joined 15 November 2021


Being 'humble and simple' is real happiness
Joined 15 November 2021
6 APR AT 15:31

दीपक जले तो पथ दिखे, लेकिन खुद न बोले,
समझ उसी को आती है, जो अनुभव से डोले।"
प्रकाश मुस्काए चुपचाप, बोले नहीं कुछ भारी,
समझेगा जब वक्त पड़ेगा, तब होगी समझ हमारी।"
सीख यही है शास्त्रों की... अनुभव की ये बात...
जो झुके वही वृक्ष बने... जो झुके वही ज्ञात..."
❤️🙏

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2 MAR AT 8:26

विकट घड़ी में शब्द ही, दिल की राह दिखाय।
या तो दिल में बस जाएं, या दिल से हट जाय।।
कठिन घड़ी में बोल-विचार, तय कर देंगे राह,
या दिलों पे राज करोगे, या खो दोगे चाह।

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31 DEC 2024 AT 3:40


रिश्ते जब भार बन जाएं,
संवेदनाएं जब चुप रह जाएं।
आहत दिल को क्या कहें,
जब माफी की चाह अधूरी रह जाए।

सम्मान का बीज हमने बोया,
पर फल कहीं और ही खोया।
क्यों कुछ लोग ना समझ पाते,
भावनाओं का मूल्य न जानते।

फिर भी दिल को समझाना पड़ता,
अपनी राह खुद बनाना पड़ता।
सच और झूठ के इस खेल में,
आत्मा को सच्चाई सिखाना पड़ता।

तो चलो, उन लोगों को छोड़ दें,
जो अपने अहम में खुद को तोलते।
जिंदगी उनकी है, पर आत्मा हमारी,
सम्मान हमारा सबसे प्यारा।

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31 DEC 2024 AT 3:37

तुमसे जो दिल की बात कह दी,
प्यार और सम्मान की राह बह दी।
पर तुमने जो किया, वो चुभ गया,
मन का विश्वास जैसे टूट गया।

अनकहे शब्दों का बोझ बढ़ा,
गलती पर तुम्हारा सॉरी न आया।
कैसे बताऊं, ये दिल कैसा दुखा,
रिश्तों की गरिमा में कांटा चुभा।

फिर भी विमुख होना सही न लगा,
साथ रहकर भी दिल अकेला सा लगा।
पर क्या करूं, ये सच है प्यारे
आत्मसम्मान को हर बार संभाला।

अब समझा कि रिश्ते दिल से निभाएं ,
पर भावनाओं का सम्मान भी कमाएं ।
अगर ना समझो, तो बस यही कहूं,
जिंदगी में सच्चाई से आगे बढ़ूं।

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30 DEC 2024 AT 6:38

जैसे-जैसे उम्र की डगर पर बढ़ते जाएंगे,
सपनों के रंग धुंधले से पड़ते जाएंगे।
पसंद आएगी बस खामोशी की गहराई,
बंद कमरे में विचारों संग सिमटते जाएंगे।

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27 DEC 2024 AT 8:59

"खो जाना होता है कभी कभी अपने आप में हमे,
देखें तो सही कौन कौन आता है खबर लेने के लिए ।"
🥹❤️

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25 DEC 2024 AT 9:51

यादों के नक्श में खो गया मेरा वजूद,
खुद से ही मिल न सका, खुद से ही बिछड़ गया।

चाहत की राह में कांटे बहुत मिले,
फूल जो हाथ आया, वो भी बिखर गया।

सोचना आज भी एक सजा बन गया,
दर्द हंसने लगा, सब्र मर गया।

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24 DEC 2024 AT 8:22

ग़म हद से गुज़र गया था बताता कैसे
ज़ख़्मों को अपने रोज़ दिखाता कैसे।

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12 DEC 2024 AT 12:32

कितनी ही परिभाषाएं गढ़ लो प्रेम की
या लिख लो कविताएं
किंतु जो एहसास आँखें के मिलन का है
वो शब्द कहीं बयां नहीं कर सकते....

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21 NOV 2024 AT 18:12

मन में उठे तूफान, पर होंठ सिले रह गए,
अशांत मन की वेदना, शब्दों में न कहे गए।
क्रोध का ज्वार भीतर ही भीतर जला,
मौन का आवरण, हर भावना को ढला।

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