सुन पगली, हर रोज मारता हूं अपने ख्वाहिशों को,
सोचता हूं कि किसी एक रोज मारने से कही मै ना मर जाऊँ।
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#7800046119
दिल के ज़ख़्म जलते हैं दिल के ज़ख़्म जलने दो
हमको ठोकरें खा कर अपने आप ही सँभलने दो
रौशनी फ़सीलों को तोड़ कर भी आएगी
रात की स्याही को करवटें बदलने दो
साएबाँ की ख़्वाहिश में इक सफ़र हूँ सहरा का
जिस्म-ओ-जाँ पिघलते हैं जिस्म-ओ-जाँ पिघलने दो
पत्थरों की चोटों से आइनो न घबराओ
हादसों के आँगन में ज़िंदगी को पलने दो
ग़म की धूप में जल कर रह गई हर इक छाँव
हम को अपनी चाहत के साए साए चलने दो
छोड़ो यार! हमको ठोकरें खा कर अपने आप ही सँभलने दो-
कोई वजह नही थी उन्हें हमसे रूठ जाने की,
बेवजह ही उन्होंने वजह बना दिया
कि कोई वजह नही थी उन्हें हमसे रूठ जाने की,
बेवजह ही उन्होंने वजह बना दिया
अरे सपनों के रंग तो बहुत घोले थे दुनिया मे
पर अफसोस
अचानक साथ छोड़ कर तूने बेरंग कर दिया
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अजीब उलझन में उलझा, तिरंगा मुझे खेद है,,
दिन तो है आजादी का, पर हम घरों में कैद हैं।।-
शब्द शब्द मे लिखूँगा गीत मातृ भारतीय का
शब्द शब्द से माँ की आरती उतारूँगा,
और दिनकर की प्रथा हो हाथ मे मसीहे मेरी
शब्द ज्वाल से मै सारे अंध को मिटाऊंगा,
क्योकि सोई है जवानी सारी निज कर्म भूलकर
इंक़लाब के नारों से मै सबको जगाऊँगा,
गद्दारों के यौवन का करूँगा नही बखान
गीत सदा मै वंदे मातरम् गाऊंगा।
इंक़लाब जिंदाबाद ❤💪💪💪🇮🇳🇮🇳🇮🇳-
हाँ पता है मुझे
तुम पहनोगी साड़ी मेरे सपनों के लिए
(Read in Caption)
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मेरी पहली मुलाक़ात अब आखिरी मुलाक़ात बन के रह गयी,
वो तो बात ही थी यारो, जो सिर्फ बात बनके रह गयी। 💔-
*लाजमी नही की, तुम भी चाहो..!!*
*मैं इश्क़ हूं एकतरफा भी, हो सकता हूं..!!*
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