Devbrat Singhai   (Devbrat)
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Joined 16 February 2018


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Joined 16 February 2018
19 JAN 2022 AT 8:57

सत्य

दिल की कोई सुरत नहीं है।
मगर दिखावे पर संसार चल रहा है।
अपनत्व खतम हो रहा है।
अपनों का बस नाम चल रहा है।

जिंदगी जीना सब भूल गये है।
साँसो से बस काम चल रहा।

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19 JAN 2022 AT 8:55

सत्य

गरीबी से किसान तड़प रहा है।
और अमीरी का अखबार चल रहा है।
बच्चे सड़को पर भीख माँग रहे है।
डिजिटल इंडिया का प्लान चल रहा है।

भगवान का अस्तित्व नहीं है।
और धर्म का बाज़ार चल रहा है।
रूह का कोई इंसान नहीं है।
मगर जिस्म पर खरीदार चल रहा है।

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19 JAN 2022 AT 8:54

सत्य

इंसानियत बेरोज़गार बैठी है।
मगर मज़हब का कारोबार चल रहा है।
दरिंदगी अपने मकाम पर है।
और सभ्यता का तिरस्कार चल रहा है।

शहीदों पर उँगलियाँ उठ रही है।
तो भ्रष्ट नेताओ का सत्कार चल रहा है।
नीरव माल्या देश लूट रहे है।
और आम आदमी का शिकार हो रहा है।

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11 JAN 2022 AT 16:20

बनाते फिरते हैं रिश्ते
जमाने भर से अक्सर।
मगर जब घर में हो जरूरत
तो रिश्ते भूल जाते हैं।

हवाओं की तबाही को
सभी चुपचाप सहते हैं।
च़रागों से हुई गलती
तो सारे बोल जाते हैं।

कहाँ पर बोलना है
और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है
वहाँ मुँह खोल जाते हैं।

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11 JAN 2022 AT 16:14

कहाँ पर बोलना है
और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है
वहाँ मुँह खोल जाते हैं।

अगर मखमल करे गलती
तो कोई कुछ नहीं कहता।
गलती से फटी चादर हो
तो सारे बोल जाते हैं।

बहुत ऊँची दुकानों में
कटाते जेब सब अपनी।
मगर मज़दूर माँगेगा
तो सिक्के बोल जाते हैं।

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10 JAN 2022 AT 8:20

सूरज ने नींद से, आँखें खोली।
रात उठ के, चल दी अकेली।।
किरणों ने, उजाला फैलाया।
अंधेरा कहीं, टिक न पाया।।
धूप की चुनरी, आकाश ने ओढ़ी।
धरती हो गई, सुंदर सुनहरी।।
कोयल ने, मौज में, कू कू कर के।
पंछियों ने, झूम के, चू चू कर के।।
दुनिया को ये, दिया संदेशा।
जागो उठो, हो गया सवेरा।।
रात गई लो, गया अंधेरा।
जागो उठो, हो गया सवेरा।।

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10 JAN 2022 AT 7:50

ऐ ज़िंदगी तू हम पे, कितने भी सितम ढाले
हम वो नहीं दुखों से, जो हैं हारने वाले

पहले पहल हल्का सा कुछ, घबरा गए थे हम
लेकिन जो गुज़रे पार, मरहम बन गए छाले

जब से रोशनी को हमने, खुद मे तलाशा
ये क्या हुआ कि खुल गए, जो बंद थे ताले

न दर्द की सीमा कोई, न प्रीत की सरहद
हर हाल मे चाहेंगे तुझको, चाहने वाले

आँख मे पानी है जब तक, दिल में आरज़ू
हर इम्तिहाँ से गुज़रेंगे हम , बन के मशालें

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10 JAN 2022 AT 0:45

खुद दर्द ही दर्द की दवा है, पहचानो तो सही
मैंने सच ही कहा है, तुम मानो तो सही

जब दर्द इलाज बनता है, हर घाव अपने आप भरता है
हमने तो यही सुना है, तुम परखो तो सही

ये लबों पे मुसकराहटें, जो आती हैं नज़र
इसकी तहों मे क्या छिपा है, तुम देखो तो सही

रिश्तों के पैर तो, मौसम से बदलते हैं
इक दर्द साथ रहा है , तुम समझो तो सही

मोती सा रुके आँख में, खुशबू सा महके
जो दर्द हँस के पिया है, तुम जानों तो सही

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24 DEC 2021 AT 14:17

you are the one who knows how to have fun makes me laugh
who play with my hairs
who won't mind holding my cold hands
who stand up for what I believes in
who stand up for me and protect me
who makes me feel like a Prince
I can be completely myself around you
But most importantly...
You are my one of the best
Entertaining Package

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24 DEC 2021 AT 13:53

चल देता हूँ कल की न सोचकर
रास्ता बहुत लम्बा है
मगर हँसकर पूरा करेंगे

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