Devbrat Singh   (देवब्रत "देव")
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Joined 25 September 2021


Joined 25 September 2021
16 FEB 2023 AT 21:16

ख्वाबों की रोशनी में किनारा नही मिलता,
अंधरे को उजाले की सहारा नही मिलता,
जमीं से सटकर चीलों को क्यों देखते हो,
तकदीर में हर किसी को सितारा नही मिलता।।

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16 FEB 2023 AT 21:12

ख्वाबों की रोशनी में किनारा नही मिलता,
अंधरे को उजाले की सहारा नही मिलता,
जमीं से सटकर चीलों को क्यों देखते हो,
तकदीर में हर किसी को सितारा नही मिलता।।

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5 FEB 2023 AT 15:16

हमेशा तो नही होगा ये दिल बेचैन,
कभी न कभी तो सुकून मिलेगा ,
अभी पतझड़ का मौसम हैं बागों में,
ज़रा सब्र करो यहाँ हर फूल मिलेगा।

जो रात देखा है उसे दिन भी मिलेगा,
ये अंधेरा अंतिम सफ़र नही है,
अभी बहुत दूर चलना है तुम्हे,
तुम्हारी मंजिल का ये आखिरी घर नही है।

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22 OCT 2022 AT 9:17

नज़र सूरत देखती है जनाब,
मोहब्बत सीरत से होती है।

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31 AUG 2022 AT 19:28

"किसी की गलती की सजा ऐसा मत दो की वो गलती हो जाये।"

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11 AUG 2022 AT 13:28

जीवन है पहर भर कहर ना बनाओ,
घर के किनारे नहर न बनाओ।

खूबसूरत समा ज़िन्दगी संग बनाओ,
रोकर के जीवन जहर ना बनाओ।

अंधेरा रहेगा नही पथ हमेशा,
परायो के घर को ठहर ना बनाओ।

जीवन हकीकत सदा तुम गुजरो,
नफरत में अपना शहर ना जलाओ।

जवानी रहेगी नही उम्र भर,
यूँ बुढ़ापे को अपना नजर ना दिखाओ।

इस उम्र में हर घर है तुम्हारा,
भटकर किसी का घर न उजारो।

आएगा एक दिन जब रहोगे अकेला,
अभी से कांटो का सफ़र ना बनाओ।

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11 AUG 2022 AT 12:51

तू शहर का परिंदा मैं गांव का,
तुम समझो ना दूरी अलगाव का।

प्रेम पर हो भरोसा जरा सब्र रख लो,
धूप में भी मिलेगा मजा छाँव का।

तू नादान है इस सफर में अभी,
कहना और रहना अलग भाव है।

कानन शाख पर है मेरा एक बसेरा,
तेरा होता निशदिन महल में सवेरा।

रूबरू हो तुम एक चमकती धरा से,
अंधेरा मिला ही नही गाँव का।

फूलों पर चले हो मखमल डहर पर,
पाषाण राहे भरी गाँव का।

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5 AUG 2022 AT 10:05

जो वस में हो वही करना चाहिए ,
किस्मत किसी की गुलाम नही होती।

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4 AUG 2022 AT 22:00

तुम पढ़ते रहो मैं लिखता रहूँगा,
तेरे चाहतो से कुछ नया सीखता रहूँगा,
तुम जब - जब संवारोगे खुद को ,
मैं तेरे दर्पण में यूँही दिखता रहूँगा।

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4 AUG 2022 AT 21:48

तुम पढ़ते रहो मैं लिखता रहूँगा

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