तुम मुझसे दूर होकर जैसे मुझे सताने लगी।
मेरी कलम तुझको पास से बुलाने लगी।।
बहुत मजबूत होकर तू दूर जाने लगी।
और मेरी यादें तुझे पल-पल रुलाने लगी।।-
मैं तुझसे दूर हूं तो क्या,बहुत मजबूर हूं तो क्या।
मेरे किस्मत को मत कोसो मेरा दस्तूर है तो क्या।।
मेरी जैसी मोहब्बत थी वैसे ही आज है तुमसे।
बिछड़ जाना मोहब्बत में तुझे मंजूर है तो क्या।।
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मैं लिखता जा रहा हूं आज भी तुझको पता है।
तेरी भी बेबसी का आज भी मुझको पता है।।
बहुत दूर हूं तुझसे और पास भी हूं।
मेरी भी बेरुखी का हाल तुझको पता है।।
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तुमने नंबर बदले जीतने की चेहरे बदले।
मेरा आज भी नंबर चलत वही है।।
मैं तुझसे दूर हूं जैसे तू मेरे साथ हो।
इस दिल पर किसी का जोर भी चलता नहीं है
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मुझे तो दिल दुखाना आज भी आता नहीं है।
उसने तो कल भी मेरा ही दिल दुखाया था।।
मैं उसको आज भी बहुत याद करता हूं।
मेरे साथ मेरा रहनुमा खुदाया था।।-
उसने खंजर घुसाया भी तो मेरे पीठ में।
अगर सीने में घुस आती तो कोई बात होती।।
बहुत कुछ सोच कर थोड़ा दूर हुआ उससे।
अगर मेरे साथ होती तो शायद बहुत रोती।।
मुझे तकलीफ है शायद उसे भी होती होगी।
बहुत हल्की सी नींद में शायद वह सोती होगी।।-
तेरी जुल्फों के साए में कभी डूबा रहा था मैं।
तूने जुल्फे हटा दिया कभी भी जाग नहीं पाया।।-
अभी तो वक्त मेरा है कोई बी वक्त मेरा है।
किसी से क्या गिला करूं सभी तो रक्त मेरा है।।-
वक्त तो बदल जाता है शायद तुम भी बदल गई हो।
इतनी आसानी से कोई किसी को भुला तो नहीं देता।।-
हर पल मेरे दिल में एक जली आग है।
मेरे महबूब तुझे छूने को ये दिल बेताब है।।
जब जब मैं तनहा हो कमरे में सोता हूं।
लगता है हर जगह बस राख ही राख है।।-