पूछ रही हो जिंदा हो, थोड़ा जी लू क्या?
पूछ रही हो आँखो का, थोड़ा रो लू क्या?
पूछ रही हो बाहों का, गले तुम्हे लगाऊं क्या?
पूछ रही हो होंठो का, तुम्हे चूम लू क्या?
पूछ रही हो आसमां का, सितारे देखने चलोगी क्या?
पूछ रही हो तंहाई का, तुमसे मिल लू क्या?
पूछ रही हो खुशियों का, साथ हमेशा रहोगी क्या?
पूछ रही हो हाथों का, रिशता मेरा ले आउ क्या?
पूछ रही हो करीबियों का, दूर तुमसे होजाऊं क्या?
पूछ रही हो टूटे दिल का, सचाई तुम्हे बतलाऊं क्या?
पूछ रही हो नाराज़गियों का, तुम्हे में मनाउ क्या?
पूछ रही हो ख्वाहिशों का, माँ पिताजी से तुम्हे मिलवाउं क्या?
पूछ रही हो भूख का, खाना तुम्हे खिलाऊँ क्या?
पूछ रही हो मिलने का, सोच के बताऊं क्या?-
बदलकर हमको, क्या वक़्त भी बदला होगा?
घड़ियाँ टूटी होंगी, साँसे रुकी होंगी, जिंदगी थम सी गयी होगी, फिर कहीं जाके सुकून मिला होगा।-
उस लड़के ने भी कुछ इस तरहा अपनी मोहब्बत निभाई थी,
फोड़ के अपनी गुल्लक उस शेहज़ादी को चूड़ियाँ दिलवाई थी!!-
उसकी बातें एक तरफ,
उसका मुस्कुराना एक तरफ,
उसकी आँखें एक तरफ,
उसका शर्माना एक तरफ,
उसकी जुल्फ़ें एक तरफ,
उनका लेहरना, एक तरफ
उसकी माथे की बिंदिया एक तरफ,
उसका हाथ पकड़ना, एक तरफ,
वो मोहतरमा है ही सबसे अलग ❤
- Devanshu Agarwal (Cherry) ❤-
इस वक़्त जिंदगी मे, ऐसा हो रहा है,
कोई, किसी से, कभी भी, दूर हो रहा है,
देखने को सिर्फ अब यादें रह गयी है,
इंसान तो कबका, सबसे दूर हो रहा है!-
हर किसी ने, मतलब से चाहा है मुझे,
एक तु ही है माँ, जो बेमतलब चाहती है❤-
बंद कमरे मे भी एक विश्वास की रात होती!
जो तुम बाहों मे होती, तो फिर क्या बातें होती?
साँसों की गर्मी मे, एक सुकून की आग होती!
बेपरदा जिस्म नहीं, हमारी सारी बाते होती,
हाथ मे हमारे सिगरेट, की आग होती,
होंठो को छुने की एक अलग सी बात होती,
जो तुम साथ होती तो, फिर क्या बात होती!-
मेरा प्यार का तजूरबा कुछ अच्छा नही रहा,
मे वो इंसान नही जो किसीके लिए रौऊ, ओर रो कर वो इंसान बन गया हु!!
प्यार मेरे लिए नही बना, ये बात मैने मान ली है!
कोई हमसा ना होगा ये बात मैने जान ली है!!
मे वो वक़्त लाना चाहता हु, जहाँ दुनिया अपनी हो, या अपनी दुनिया हो!!-
उसने कहा था मुझसे तुम शायर बन जाना मेरे बाद,
मैने भी कहा था उससे तुम दिल तोड़ देना मेरा , मरने के बाद!-
बाहों मे जब तुम आती हो,
लेहारा के बलखाती हो,
चंद सा चेहरा तुम्हारा,
यूँ जो तुम मुस्कुराती हो,
यूँ वफ़ा का दरिया हो,
और तुम गले लगाके पार कराती हो,-