तुम जाते वक्त अच्छे लगोगे,
अगर ये मालूम होता मुझे।
तो मैं आने नहीं देता तुम्हें।-
कोई जादूगर हो जैसे।
जिस ओर चाहो उस ओर कर देते हो।
मेरे हाथ में बस, हाथ है,वो भी मेरे।
तुम भरे सन्नाटे में,मन में शोर कर देते हो।
चुप बैठ कर क्या सोचते हो,मिलकर।
तुम फोन पर तो भोर कर देते हो।
यूं तो देते हो मिसाल हवा पानी से मेरी।
सबसे मिलकर मुझे एक ओर कर देते हो।
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तुम अपना इत्र सबको देना।
मगर अपने बालों की खुशबू मुझे दे देना।
दिन को कई काम होते है सबको।
तुम कभी शाम में चाय का वक्त मुझे दे देना।
दूर तक चलना है साथ में तुम्हारे।
कुछ भारी सामान हो पास में, तो मुझे दे देना।
मुझे नींद अंधेरे में आती है।
तुम घर जल्दी पहुंच कर मुझे फोन कर देना।
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तुम्हारा ना होना कुछ ऐसा है,
जैसे घर होना मगर कोई दरवाज़ा ना होना।
तुम्हारा ना होना कुछ ऐसा है,
जैसे कमरा होना मगर कोई अलमारी ना होना।
और होना कुछ ऐसा है,
जैसे कुछ ना हो फिर भी सब कुछ होना।
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पैरों को छाती में जोड़कर एक तरफ़ घूम कर
लेटे लेटे मैं जब कमरे में लगी जलती बुझती बत्तियों को देखता हूं,
तो जहन में एक ख्याल आता है
कि ये तो उन्हीं बत्तियों से निकलती रोशनी है
जो तुम्हारे साथ होने पर बहुत खूबसूरत सी नज़र आती थी।
वही अब उदासी क्यों बिखेरती है ?-
मैं पोछा लगाता था कमरे में
और वो चप्पल पहन कर भी जाए तो मैं टोकता ना था।
कभी हो जाती थी अगर,मेरी आवाज उससे ऊंची,
बाद में,मेरी जेब में पड़ा कपड़ा भी गाल पे गिरता पानी रोकता ना था।-
ध्यान से रख देते हो हर जरूरी चीज़ तुम मेरे साथ।
जब लौटता हूं तुमसे मिलकर, बस खुद नहीं आते हो साथ!
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