Devang Shukla  
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Eye Physician
Joined 29 April 2019


Eye Physician
Joined 29 April 2019
23 APR AT 8:12

काटने होंगे कुछ अंधेरे दिन।
अगर देखनी है उजली रातें।

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7 APR AT 22:52

साढ़े तीन चाँद है ज़िंदगी में।
तुम मेरे हो जाओ तो चार चाँद लग जाए।

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20 MAR AT 19:15

तुम खुद होते नहीं,हाज़िर।
मै क्या करूँ,गर तुम्हारी जान भी है हाज़िर।

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2 FEB AT 21:46

बैठे बैठे कमरे में ,एक शाम याद आ जाती है।
बार बार ना कहने पर भी,माँ जब रोटी लेने जाती थी।

रोज सुबह उठने पर एक बात याद आ जाती है।
मेरे उठने से पहले माँ जब चाय बनाने उठ जाती थी।


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15 JAN AT 22:20

शिकायत है तुम्हें,
वो भी प्रिंसिपल के लड़के से,जिंदगी के स्कूल में।
तुम्हें लगता है दिलासे के सिवा कुछ मिलेगा तुम्हें,
फिर तुम हो किसी भूल में।

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13 DEC 2023 AT 23:28

नहीं, कुछ दोस्त भी है मेरे पास।
क्या मतलब फिर चाय कप एक क्यों है मेरे पास।

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13 DEC 2023 AT 23:24

घड़ी की आवाज़ भी,दरवाज़े की दस्तक लगती है।
जब की मुहल्ले में हर रोज बाजार लगती है।

मैं चाय का कप लेकर बैठता हूँ जब।
सोचता हूं ये कैसे घेरे है जिनमें तन्हाई लगती है?

मैं बस्ते का सारा बोझ सिर्फ़ एक कंधे डाल देता हूँ जब।
मुझे हर बच्चे की जिंदगी बहुत रा'नाई लगती है।

हर रोज़ लौटकर काम से,क्लैंडर् पर तारीख काटकर।
सोचता हूँ ताले में चाभी एक बार में क्यों नहीं लगती है।

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11 NOV 2023 AT 22:15

तन कही और है मन कहीं और।
अंदर है खामोशी,चारों और है शोर।

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29 SEP 2023 AT 9:09

मन का सूखा नहीं भरता,समंदर पार करने से।
सब यार नहीं होते है, बस यार कहने से।

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12 JUL 2023 AT 22:34

इसलिए भी सीट एक है स्कूटर पर मेरे।
कि सफ़र अब अकेले ठीक लगता है।


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