DeV Singh   (Dev)
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Joined 30 January 2019


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21 MAR 2023 AT 18:33

कितना ही तंग कर ले, परेशान कर ले

फिर भी कोई असर ना हो, वो है

दोस्ती....!! ना बात होते हुए भी कॉल कर के

बकवास करे, फिर भी सारी बाते सुन लेते है, वो है दोस्ती....!!

कभी कभी गुस्सा कर जाते है फिर भी गुस्सा ना होकर भी मना लेते है, वो है दोस्ती...!!

जो हमको हमसे भी जायदा समझ जाते है, वो है दोस्ती...!!

हम उदास होते है, और कुछ नहीं बोलते, फिर भी वो हमारा चहरा पड़ जाते है, वो है दोस्ती...!!

कोई काम नहीं होता फिर भी दूसरे के काम के लिए आगे रहते है, वो है दोस्ती...!!

अगर गलत करे, उसका उसमे साथ ना देकर उसको सही रास्ता दिखाएं, वो है दोस्ती...!!



dil_ki_bateनहीं मानें तो हो। पर लगा कर हक जताए, वो है दोस्ती....!!

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19 MAR 2023 AT 23:18

मर्द अगर सच्ची मोहब्बत कर लेता है तो वो अपने महबुब के आस-पास के हवाओं का भी दुश्मन बन जाता है।

मर्द मोहब्बत में बिल्कुल जिद्दी बच्चों के जैसा होता है जिस तरह एक बच्चा अपनी किसी पसंदीदा चीज या खिलौने के लिए इंतहाई खुदगर्ज होता है और उसे सब से छुपा कर रखता है की वो बस उसी का है।

मर्द भी उसी बच्चे की तरह होता है, मर्द जिस लड़की से मोहब्बत करता है या जिसे अपना बना लेता है, उसे दुनिया की नजरों से छुपा लेना चाहता है। इसलिए नहीं की वो उस लड़की को कैद में रखना चाहता है बल्की वो दुनिया को बुरी नजरों से वाकीफ होता है, और उसे खोना नहीं चाहता है।

मर्द उस लड़की को दुनिया से छुपा लेना चाहता है, ना उसे कोई दुसरा देखे, ना उसकी कोई चाह करे, उसका महबुब बस उसी का रहे.. मर्द सब बर्दासत कर सकता है मगर अपने पसंदीदा लड़की को किसी और का होता देख कभी बर्दास्त नहीं कर सकता।

मगर आज कल की लड़कीयाँ ऐसे मर्दों को छोटी सोच का इंसान बताकर छोड़ देती है, उन्हें लगता है की मर्द इन्हें कैद में रखेंगे जबकी ऐसी लड़कीयाँ बहुत खुशनसीब होती है। क्योंकी ऐसे मर्द मिलना बहुत मुश्कील होता है। जिस मर्द को अगर आपके किसी गैर मर्द के पास जाने से फर्क ना पड़े, मेरे नज़र से वो आपसे सच्ची मोहब्बत नहीं करता।

अगर एक मर्द रो रहा है तो वो उसके बेबसी की
आखरी हद होती है
ध्यान रखें यहाँ बात सच्ची मोहब्बत की हो रही है....

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11 FEB 2023 AT 19:58

किसी के शब्दों से, सच और झूठ,
समझ आ जाता हैं।
मैं कोशिश कई बार करता हूं,
सब कुछ सही करने की।
मगर उसमें से, एक बार ऐसा आता हैं,
फिर मैं कुछ और नहीं करता हूं।
अच्छा बुरा सब भूल कर,
चुपचाप मैं आगे निकल जाता हूं।
ना किसी से फिर शिकायते,
ना उम्मीदें, ना भरोसा रहता हैं।
एक बार टूट जाता हैं,
फिर वह कहां जुड़ता हैं।
मैं जिद्दी, और मैं अपने बातों का पक्का हूं।
और ये आदत मेरी,
समय आने पर ही, दिखता हैं।

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15 NOV 2022 AT 13:20

रात होने को है कुछ देर में ही ठंडी हवाएँ

तम्हारे झुमकों से टकराकर

तुम्हे मेरा प्यार भरा संदेशा बतलाएँगी

मगर क्या फायदा

तुम हर बार की तरह उसे चाँद और रात

की शीतलता का बहाना देकर दोबारा अनसुना कर दोगी!

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20 OCT 2021 AT 8:35

*_अच्छा हैं_*

समझदारों से भरी हुई इस दुनिया में,
किसी का पागल भी होना अच्छा हैं;

जहां सारे लोग उम्र से पहले बड़े होने लगे,
वहां एक बच्चे का भी होना अच्छा हैं;

समझदारों की बेरंग सी इस दुनिया में,
थोड़े पागलपन के रंग भी भरना अच्छा हैं;

कभी कभी निकालने को अपने दिल की भड़ास,
पागलपन को भी अपनाना अच्छा हैं;

जब जंग छिड़े कभी सपनों और जिम्मेदारियों में,
तब सपनों की जगह जिम्मेदारियों को चुनना अच्छा हैं;

जब चुन ली हो सपनों के आगे जिम्मेदारियां,
तब सपनों को ख़ुद ही आग लगाना अच्छा हैं;



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16 JUL 2021 AT 18:44

मैं सारा दिन तुम्हारी राह देखता रहा ,,,

भूल गया था कि चांद तो रात में निकलता है❣️❣️

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10 JUL 2021 AT 21:00

ज़िंदा रहना है तो वार ताबड़तोड़ लाओ
मौत की जंग से जिंदगी निचोड़ लाओ

प्यासो का मसीहा कोई नहीं होता
खुदा बनते हो तो दरिया मोड़ लाओ

आज भी रोशन नहीं है जिंदगियां कई
जाओ कोई सीतारा ही तोड़ लाओ

जंग की जीत मुझे कुछ सीखती नहीं है
उभरना सीखना है तो पहले ज़ख्म बेजोड़ लाओ

रात को कहां खबर कौन अंधेरे में है
दूर तक जाना है तो कोई चांद ढूढ़ लाओ

छाया,साया,जल,हवा शीतल सबकुछ किया उसने
अपने काटने वालो को काट सके कोई ऐसा पेड़ लाओ

तपते सफर में पीठ जलनी तो लाजमी है
हो सके तो मां का आंचल ओढ़ लाओ

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5 JUN 2021 AT 11:16

*ग़रीबी*

ग़रीबी का अहसास बहुत ही असहनीय होता है ,
जिसने गुज़ारी है ज़िन्दगी ऐसी ,
वो ही बता पाएगा अपनी आपबीती ,
दाने - दाने के लिए मोहताज़ होना ,
कुछ पाने की आस है रखना ,
उम्मीद भरी निगाहों से ताकना।

कभी किसी की लाचारी ,
तो कभी किसी की बेबसी ,
हर वक़्त तंगहाली में है गुज़ारना ,
बड़ी मुश्किल होती है ऐसी ज़िन्दगी जीना।

मजबूर होते है सब ,
कभी भीख मांगने निकल पड़ना सड़को पर ,
तो कभी मजदूरी करके पेट है भरना ,
बहुत कशमकश में होती है ज़िन्दगी ,
जब हालात ऐसे हो जाते है ,
पर पापी पेट के लिए ,
सब कुछ करना है पड़ जाता।

फटे हुए जेब और मुख पर लाचारी लिए घूमते है ,
ऐसे होते है हमारे देश के गरीबों की कहानी।
जो बिना कहे अन गिनत तकलीफें बयान कर जाते है।

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1 JUN 2021 AT 23:22

जेहन में छुपा किसी के ख्वाब रखें हैं |
कोई देख न ले चेहरे पर नकाब रखें हैं |

ये न सोचों कि मेरे कमरे में यु किताब रखें हैं |
दरअसल उनमें उसके दियें गुलाब रखें हैं |

इन खतों के खजानों से दूर रहा करो,
इन खतों में मेरे वफ़ा के जवाब रखें हैं ||


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27 MAY 2021 AT 17:19

देख इस शब को, ये कुछ बोले हैं,
आज तो ये चाँद भी अपना परदा खोले हैं|
ज़र्रा- ज़र्रा दमक रहा है,
अब फ़ितरत भी पर तोले हैं|
बस तेरी कमी है,
उफ़! दिल में अभी भी शोले हैं|

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