छोड़कर अधूरी मेरी हसरतों को
आग मुझमें भड़का दो तुम
तलब तेरी ही रहे मुझे हर बार
इतना तलबगार बना दो तुम-
बढ़ रही है ठंड भी और सुलग रहें हैं अरमान भी
इतनी सी ख्वाहिश है इस सर्द मौसम में तुमसे
सुला दो मुझे भी अपने साथ रजाई में
अपनी जांघों के बीच मेरा सर लेकर हो रहा दिल बेईमान भी-
मुद्दतों से भरे पड़े थे अरमानों के सैलाब दिल में
आए जो वो मिलने मुझसे बारिश की तरह सब बह निकले-
बेशक देखें हैं मैंने हज़ारों ख़्वाब मगर
हर ख़्वाब की हकीकत सिर्फ़ तुम ही हो-
धुल जाती हो अगर यादें बारिश के पानी से
तुम्हारी कसम में बहुत पहले समंदर में डूब जाता-
तुम्हारे हर ख्याल का ख्याल रखता हूं
तुम्हे हर पल मैं इतना ज़्यादा याद करता हूं
नहीं रह पाता एक पल भी बिना तुम्हारे
इसलिए तस्वीर तुम्हारी हमेशा आंखों के पास रखता हूं-
मदहोश कर देता है उनके देखने का अंदाज़
और लोग सोचने लगे हैं की ये पीता बहुत है
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मुनासिब है कि एक चेहरे पर कर ली आंखें पाबंद
वफ़ा ए तौहीन होती है हर चेहरे पर यूं मार जाना-