यादों की जंजीर से
जितना निकलना चाहा इस शिकंजे से
उतना जकड़ा जा रहा हूँ जमीर से-
dev patel4522
(#देव_की_कलम✍️✍️8513)
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न मैं राहत इंदौरी हूँ नही गुलज़ार साहब हूँ...
मैं नायाब उलझनों की एक मुक्कमल किताब हूँ...
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मैं नायाब उलझनों की एक मुक्कमल किताब हूँ...
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Joined 17 July 2020
22 JUL 2022 AT 6:52
24 JUN 2022 AT 19:11
आँखे बंद करके तुम्हे महसूस करने के सिवा
मेरे पास तुमसे मिलने का कोई दूसरा रास्ता नही है
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22 JUN 2022 AT 13:44
न मैं राहत इंदौरी हूँ न ही गुलज़ार साहब हूँ
मैं नायाब उलझनों की एक मुक्कमल किताब हूँ-
19 JUN 2022 AT 11:19
वो पगली बैठ कर यूँ ही
मेरा इंतिजार करती हैं
मेरे आने की आहट सुन
पगली उठ खड़ी होती हैं
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13 JUN 2022 AT 19:33
एक दूजे के बिना हैं आधा आधा
मैं तेरा कृष्ण हूँ तू मेरी रानी राधा-
9 JUN 2022 AT 20:55
मुझे रंगना हैं तेरे प्यार में इस लाल गुलाब की तरह
यूँ जिंदगी भर साथ चलना हैं मुझे हमसफ़र की तरह
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9 JUN 2022 AT 12:18
यूँ ही तेरी निगाहें मुझ पर ही क्यों टिका हैं
नजर लगाने का इरादा हैं या कत्ल करने का
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6 JUN 2022 AT 21:21
देख कर नजरे चुराना
चुपके से निगाहें झुकाना
फिर हाय ये तेरा मुस्कुराना
तेरी मुस्कान हैं कातिलाना
मर न जाये कहीं तेरा दीवाना
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