आकर यूं बाहों में सिमट जा
के अब ये दूरियां ना रहे।
बस मैं रहूं, तू रहे
और कोई मजबूरियां ना रहे।।
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ये जो तुम यूं नजरो से पैग़ाम भेजा करती हो..
क्या मेरी मोहब्बत का अंजाम लिखा करती हो?-
इन धड़कनों से पूछ
के तुझसे कितनी मोहब्बत है।
इन फ़ासलो से पूछ
के तेरी कितनी जरूरत है।।
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थोड़ी सी वफा मिल जाए
तो ये दिल तेरे नाम कर दूं।
तू जरा सा ऐतबार कर के तो देख
तेरे नाम सुबह-शाम कर दूं।।-
वो हमसफर, वो हमनवाँ ढूँढता हूं..
मुसाफ़िर हूं मंजिल का पता ढूँढता हूं..।।
रोज ख्वाबों में आती है जो..
मैं उसके निशान दर-बदर ढूँढता हूं...।।-
मिलना तो दूर
अब तुम्हारे ख़यालों में भी नहीं आयेंगे।
हम तुमसे कुछ इस कदर
दूर चले जाएंगे।।
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वो शाम बड़ी हसीन थी
जब तू मेरे करीब थी।
जीता था बस तेरी खातिर
तू ही तो मेरा नसीब थी।।
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ख्वाबों का आशियां
नींदो में तेरी मैं जागता था
खयालों में तेरे मैं ही तो था।
लेकर दुआएं मैं तुमसे मिला था
ख्वाबों का था आशियां।।
फिर क्या खता हो गई हमसे
क्यू हो गए तुम यूं जुदा।
पल भर में तोड़ दिया सारे सपनों को
तोड़ गए ख्वाबों का आशियां।।
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क्या बताये तुम्हें कितना याद करते है।
मेरे आंसू भी तुम्हारी सलामती की फ़रियाद करते है।।-