मय के कुछ जाम छलकाने तेरे मयखाने में दाखिल होता हूँ
पर तुझसे नजरे मिलने पर बहकते कदमो को कुछ होश नही रहता-
Still studying
Immature writer
शायर हूँ में बस इतना सा काम है
जो जज़्बात कभी बया ... read more
ज्ञान, फकत कब किताबो में बस्ता है...
तजुर्बे चाहिए, कुछ अल्फाज़ो को समझने के लिए...-
पहली महोब्बत का पलड़ा हर वक्त भारी रहा,
फिर से महोब्बत होने पर भी उसको दबाना जारी रहा..-
वक़्त बचा रखा था कुछ वक्त बिताने के लिए,
उम्र भर ख्वाबों की दौड़ वो वक्त भी ले गई।-
तुम अपना वक्त काटने के लिए मुझसे बाते करो,
हाँ, अकेला तो हूँ में पर इतना खाली भी नही।-
दुनिया की भीड़ में चेहरों को पहचानना नही जाने
पढे-लिखे तो हो तुम, पर तजुर्बे से आम लगते हो।-
चेहरे पर ख़ुशी पर नजरे चूरा रहे हो
लगता है फिर किसी के दिल से खेल कर आ रहे हो-
जब तुम साथ हो
पर कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हो
हाथ कपकपाते हो
पर एक दूसरे को थामे हो
आँखो से बाते हो
पर लब एकदम शांत हो
हाँ बस तब ये
ख़ामोशी अच्छी लगती है-
यूँ बदसलूकियां ना कर उसके लिए
मुझसे तू, ऐ ज़िन्दगी
जो साथ रहकर साथ ना रहा
वो दूर रहकर क्या याद करेगा-