desire_driven   (ruchir)
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Joined 28 February 2021


Joined 28 February 2021
7 HOURS AGO

वो शाम बस वही ठहर गयी
ना मेरे स्याह लफ़्ज़ों से गहराई,
ना धीमी रोशनी को थाम पायी..
धुंधले आसमाँ में सहमे सहमे
तारे भी गिन कर बस दो ही थे;
उनके दरमियाँ कहीं झांक कर
ख्वाबों ने मुस्कुराकर नज़रें चुराई
सुकून भरी वो शाम बस वही ठहर गयी..

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1 MAY AT 0:15

kisi ko ghar ki raah
koi aasmaan mein qaid
koi intezaari mein hain
kisi ki talash hi ahd..

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21 APR AT 2:46

"उनके दस्त ओ पा में ना ठहरी रेत सी उम्र
जाना गनीमत हैं कि उन से हो कर गुज़री..

अब नहीं हैं गर्ज़ क्या राह, सफर, क्या हो आखिरत
याद हैं बस वही जो उन से वाबस्ता गुजरी.."

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13 APR AT 1:04

der ho rahi hai bahut...
intezaar ko na jaane
kaun si ummeed hai!

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13 APR AT 0:47

हिज्र की रात कब की बीत गयी..
अँधेरे छंटते नहीं हैं!

उनकी पैरहन पे जो अटके
ये दिन कटते नहीं हैं..!

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12 APR AT 23:36

ख्वाबों में उनको
उनसे बदगुमान हसरतों को मनाया जाएगा..
अब यहां पर कभी और
कुछ नहीं मनाया जाएगा..

उनसे पहले और दुनिया से परेह
बस यहीं खूबसूरत सी कश्मकश रही..
उन्हीं का हैं दिल लेकिन
अब ताउम्र रस्मन मनाया जाएगा..

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8 APR AT 23:13

बहुत तरसाते हैं वो
एक पल में बरसो की दूरी बना कर
सारी गुफ्तगू आँखों ही आँखों में
ख़ामोशी से कर जाते हैं
पर फिर भी उन का असीर
बन के मुस्करा देता हैं यह दिल!

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5 APR AT 0:51

तुम हो...
तो मैं एक मुकम्मल सच हूँ..

तुम्हारे बग़ैर
किसी अफ़वाह सा दरबदर हूँ

खोए कदमों को
ये बेबस रास्ते तकते बेकदर हैं

घर लौट भी आऊ पर
पता नहीं मैं कैसा इन्तेज़ार हूँ

मंज़िलें बदगुमान ही रहे
मैं यह सफर तुम्हें नजर करू

छूटे सारे ऐब ज़माने भर के
अब ये फ़साना कैसे बसर करू

जो तुम एक नज़र देखो
मैं ख्वाहिशों का भी तसव्वुर हूँ

मेरे इश्क़ का ओहदा हो तुम
और मैं पूर सुकून सा हश्र हूँ..

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4 APR AT 1:31

ये फ़साना भी अब मुसल्लत हैं दिल ए नादान पर
कि उसे मेरी कमी तो कभी महसूस नहीं होगी...

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30 MAR AT 20:32

entreat//

keeping their recent notification over there, until they message me again!

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