तुम हो गुलमहोर के पेड़ जैसी मृदुकारी,
सौंदर्य और शांति का प्रतीक जिसके,
फुल है बिलकुल तुम्हारी मुस्कान जैसे,
तुम्हारा किरदार मुझे लगता है बिलकुल
गुलमहोर के पत्ते जैसा ,जो बरछे की आकृति जैसा है,
जिसमे गुच्छे के रूप में फल आते है बिलकुल
वैसे जैसे मेरा अंतर्मन रोमांचित होता है,
तुम्हारी प्यारी बातो में मेरी परवाह व खुशियां बाटने पे,
लगता है जैसे तुम मेरे ही दिल का एक अंश हो,
और तुम्हारे मशवरे है शीतल और सच्चे जैसे
मिलता है मुझे कोई जरिया बया करने का जब
सुनने को कोई नही होता,
हा,तुम हो किसी भी मौसम में पेड़ के नीचे बैठे
तन्हा जो सुकून मिलता है दिल में भर कर तुम्हे।
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