Deergh Sharma   (द इंट्रोवर्ट who राइट्स)
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Joined 11 March 2017


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Joined 11 March 2017
11 OCT 2023 AT 22:02

जैसे थामे हो एक बच्चे ने दो हाथ
वैसे एक नदी के दो किनारे है हम

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2 AUG 2022 AT 15:06

देर रात तक जगे क्यों रहते हो?
अब यह बहाना मत देना कि निंद नहीं आती,
मुझे पता है रात भर क्या सोचते रहते हो,
वही बातें न जो किसी से कही नहीं जा रही?
सुनो दीर्घ, रात ख़ुद को आराम देने के लिए हैं
न कि उनके बारे में सोचने के लिए नहीं
जिन्हें होने न होने से तुम्हारे फ़र्क नहीं पड़ता,
जिन्हें जाना था वो चले गए तुम्हारे रोकने के वावजूद
अब सिर्फ अपने अंदर कमियां ढूंढने से भी
सच में कुछ नहीं मिलता।

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17 FEB 2022 AT 23:03

सबके अपने कारवां सबके अपने यार
हमीं अकेले रह गये दरिया के इस पार
— % &

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15 FEB 2022 AT 20:23

Peace before my end

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30 DEC 2021 AT 0:22

Before this year 2021 ends, I would like to apologize to all whom I've hurted intentionally or unintentionally. Let's forgive and forget.

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29 DEC 2021 AT 20:09

It's okay to let some feelings die..
It's okay to let someone go
It's okay to be fragile again
It's okay to be Ateet again..

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28 DEC 2021 AT 22:16

क्यों और अब और हमसे चला नहीं जाता
ज़िन्दगी तेरा सफ़र आखिर थम क्यों नहीं जाता

कुछ ग़ैर भी करते हैं हमसे अपना होने का दावा
और अपनों से भी ताल्लुक हमसे रखा नहीं जाता

किसी कूचे को है जुगनू भी काफ़ी है रोशन करने के लिए
जाने क्यों हमसे चराग़ कोई जलाया नहीं जाता

जिस रास्ते चल पड़े हैं वहाँ ज़िल्लत है जानते हैं
फिर क्यों किसी दूजे रास्ते हमसे जाया नहीं जाता

यूँ तो दीवानगी भी कह देते हैं दीवाने इसे
क्यों दीवानगी में दिल हमारा,हमसे जलाया नहीं जाता

एक आईने के हज़ारों टुकड़े कर के देखे हैं हमने
हर दफ़ा हर टुकड़े से तेरा साया नहीं जाता

अब जो मौजूद है तू मुझमें है या इन हवाओं में कहीं
मौजूदगी भी तेरी किसी से जताया नहीं जाता

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10 SEP 2021 AT 22:09

तमन्नाओं से होते नहीं फैसले मुकद्दर के
कोशिशें लाख सही मगर तकदीर भी एक चीज है..

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18 AUG 2021 AT 1:19

इससे और अधिक नहीं
केवल इतनी,
छाया भर को ही,
लेकिन रहो मेरे जीवन मे
कि तुम्हारे होने भर से ही बरतने लगता हूं अपने को थोड़ा ढ़ंग से

एक तुम्हारे होने की कल्पना से ही
वसन्त और पतझड़ जितना ही
विश्वास जीवन और मृत्यु पर होने लगता है...

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15 JUL 2021 AT 11:45

समझता हूँ भुला दिया जाना है तरतीब-ए-ज़िंदगी
चाहता हूँ मगर धुँधला सा तुझे याद रह जाऊँ!

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