उसकी बात सुनकर कुछ लोग वहां से वापस अपने घर की तरफ जाने लगे ताकि सब अपने परिवार से मिल सके लेकिन कुछ लोग वहीं रुक गये जो राघव की मदद करना चाहते थे| उन्हीं में से एक था डाॕ. अविनाश जो राघव केे बहुत अच्छे दोस्त थे| अवंतिका भी राघव की मदद करना चाहती थी इसलिए वो भी नहीं गई| वहां कुल 5 लोग थे जिनमें से 2 वो लोग थे जिन्होंने राघव को इस अनहोनी की जानकारी दी थी विजय और सोहैल| वो सब खड़े ही थे वहाँ की अचानक लैब से ज़ोर ज़ोर से आवाज़े आने लगी तो वो लोग वहां से भाग कर लैब केे पास ही बने एक कमरे में चले गए जहाँ लैब का ही सामान रखा जाता था|अभी भी सब डरे हुए थे इसलिए उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आगे करना क्या है?
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अवंतिका केे ये सवाल सुनकर राघव भी सोच में था कि रमण सर ने आखिर क्यों अवंतिका पर हमला नहीं किया और वो अचानक यूँ खड़े होकर क्या सूंघने की कोशिश कर रहे थे? वो सोच ही रहा था कि अवंतिका की आवाज़ ने उसे अपनी सोच से बाहर निकाल दिया|
उसने उससे कहा "ये बात तो मुझे भी नहीं समझ आ रही है" फिर उसने बाकी खड़े कर्मचारियों से कहा कि वो सब अपने-अपने घरों में सुरक्षित लौट जाए और आस पास केे लोगों से भी कहे कि वो घर केे अंदर ही रहे क्योंकि उसे भी नहीं पता था कि ये मुसीबत कैसे ठीक होगी और कब तक| बस वो इतना जानता था कि उसे ये सब ठीक करना है वरना अनर्थ हो जायेगा|-
जब अवंतिका को राघव ने ऐसा सहमा हुआ सा देखा तो उसने उसके कंधे पर हाथ रखा, जिस पर अवंतिका एक दम से चौंक उठी, फिर उसने राघव की ओर देखा और उसके गले लग कर फूट-फूट कर रोने लगी| राघव ने उसे जी भर कर रोने दिया क्यूंकि वो जानता था कि अभी अवंतिका किस स्थिति में है| कुछ देर रोने केे बाद वो राघव से अलग हुई और अपने आँसू पोछने लगी|उसने बाकी सबकी तरफ देखा और फिर राघव की और देख कर पूछा, "क्या तुम जानते हो इन सबको क्या हुआ है और रमण सर ने मुझपर हमला क्यों नहीं किया?"
*जिस वैज्ञानिक ने अवंतिका पर हमला किया था उनका नाम एस.रमण था जिसे उसने सर रमण कह कर संबोधित किया*-
वो वैज्ञानिक कुछ देर वहीं खड़ा रहा और कुछ सूघंने लगा, फिर वो डर के थोड़ा पीछे को हटा|जैसे ही वो पीछे हटा कि तभी पीछे से राघव ने उसके सर पर ज़ोर से सरिए से वार किया, जिससे वो एकदम से नीचे गिर गया|यही मौका देख राघव ने अवंतिका का हाथ पकड़ा और उसे खिचते हुए उस लैब से बाहर ले गया और फिर लैब को सील कर दिया|
बाहर लैब केे कई कर्मचारियों खड़े थे जिन्हें राघव लैब से बाहर सही सलामत ले आया था| अवंतिका अब भी सहमी सी खड़ी थी और एक टुक लैब केे बंद दरवाज़े को घूर रही थी| राघव उससे कुछ पूछ रहा था, लेकिन उसे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था|-
पीछे मुड़ ने केे बाद जो नज़ारा अवंतिका देखती है, उसने देखने के बाद वो अपने होश जैसे खो देती है| उसकी आँखे खुली की खुली रह जाती है और वो वहां से भागना तो चाहती है, लेकिन डर केे कारण उसके पैर वहीं जम से जाते हैं|
पूरे लैब में चीख पुकार मचने लगता है और फर्ष पर खून ही खून, जिसे देख अवंतिका को उल्टी जैसा लगता है| वो डर के कारण हिल भी नहीं नहीं रही थी कि तभी एक वैज्ञानिक जो अपने होश में नहीं था वो अवंतिका के पास आने लगा| उसे देख अवंतिका को और भी ज़्यादा डर लगने लगा, वो जो कोई भी था अवंतिका केे ऊपर हमला करने ही वाला था कि वो एक दम से रुक गया और कुछ सूंघने लगा|-
अवंतिका भी वही खड़ी होकर सब देख रही थी, उसके हाथों में अब भी वही फूल था जो वो लेकर आई थी| अचानक उसकी नज़र अंदर रूम में पड़ी जहाँ वो बन्दर था, उसने देखा कि सभी वैज्ञानिक जिनको बन्दर ने काटा था वो दोबारा खड़े हो रहे हैं और साथ ही उनका बर्ताव कुछ अलग सा लग रहा था| उनके शरीर में वैसे ही घाव बनने लगे थे जैसे किसी ने एसिड डाल दिया हो| अवंतिका यह सब देख कर सोच में पड़ गई कि यह सब क्या हो रहा था कि अचानक उसके पीछे खड़े वैज्ञानिकों में चीख पुकार मचने लगी| उसने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो उसके पैरो तले से ज़मीन ही खिसक गयी| उसने देखा कि जिन वैज्ञानिकों को बाहर निकाला गया था वो सब भी वैसे ही बनने लगे थे|
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बन्दर ने उस वैज्ञानिक को छोड़ कर दूसरे की ओर भाग कर गया उसे भी उसी बेरहमी से काटने लगा| तारो तरफ भगदड़ मच गई और रूम केे बाहर खड़े सभी वैज्ञानिक लाचारी से सब होता देख रहे थे| अंदर उस रूम में बन्दर एक केे बाद एक को अपना शिकार बना रहा था, तभी बाहर खड़े एक वैज्ञानिक ने उस रूम केे दरवाज़े को अनलॉक कर दिया| दरवाज़ा खुलते ही बाकी बचे वैज्ञानिक रूम से बाहर आ गये, उनके बाहर आते ही रूम को दोबारा लॉक कर दिया ताकि बन्दर बाहर ना आ सके| रूम के लॉक होते ही सबने चैन की सांस ली और उन वैज्ञानिकों के घावों का निरीक्षण करने लगे जो बन्दर के काटने के द्वारा हुए थे|
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यह सब देख कर उस कमरे में अफरा-तफरी मचने लगी और इसी अफरा-तफरी में कमरे को खोलने के बजाये एक वैज्ञानिक ने डर केे कारण उसे सील कर दिया| अब डर का माहौल और बढ़ गया साथ ही बाहर खड़े वैज्ञानिक भी हर संभव कोशिश करने लगे उन्हें बाहर निकालने के लिए| उनकी आँखों में वही डर दिख रहा है था जो पहले उस बन्दर की आँखों में था|
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सब सोचने लगे कि अब यह बन्दर नहीं बच पायेगा, इसलिए सब उसके क़रीब जाके पेटी केे ऊपर से ही उसे देखने लगे| बन्दर का शरीर गलने लगा जैसे कि किसी ने उस पर एसिड डाला हो, इसके बावजूद वो शांत था और हिल डुल भी नहीं रहा था| सब वैज्ञानिक उसे देख ही रहे थे कि अचानक से बन्दर उठा और ज़ोर ज़ोर से पेटी को तोड़ ने की कोशिश करने लगा| उसके ऐसा करने से पेटी में दरार पढ़ने लगी जिससे वहां खड़े सभी लोग डर गए, सब इससे कुछ संभल पाते कि बन्दर उस पेटी को तोड़ कर बाहर आ जाता है और अपने शरीर पर लगे सभी तार को तोड़ कर फेंक देता है| वहाँ लोग कुछ समझ पाते कि इतने में उस बन्दर ने एक वैज्ञानिक पर हमला कर दिया और उसे बड़ी बेरहमी से काटने लगा|
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अवंतिका उन फूलों पर रिसर्च कर रही थी क्योंकि उन फूलों तथा उनके पत्तों में औषधीय गुण थे जिनके बारे में वो जानकारी एकत्रित कर रही थी|
वो कुछ आगे बता पाती कि अचानक पेटी में कुछ हलचल होने लगी| सबका ध्यान अब अवंतिका से हटकर उस पेटी पर गई जहां वो बन्दर था, उसका शरीर दोबारा से लाल होने लगा और तापमान घटने लगा| वहाँ खड़े किसी भी वैज्ञानिक को यह समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से एसा क्या हो गया| बन्दर ज़ोर ज़ोर से उछलने लगा और काँच केे रूम के अंदर जितने भी वैज्ञानिक थे वो सब बन्दर को मॉनिटर करने लगे| बाहर खड़े लोग बस देख रहे थे कि अचानक ऐसा क्या हुआ, कि तभी बन्दर के दिल की धड़कन भी कम होने लगी| ये और आश्चर्य की बात थी क्योंकि एक दम से बन्दर शांत हो गया और बिलकुल भी आवाज़ नहीं निकाल रहा था|-