हौंसलों ने मेरे कहा मुझसे ,
तू रुकना मत,तू झुकना मत,
उजालों की ख्वाइश और तिमिर से गुज़रे
परछाइयों से अपनी तू डरना मत ,
तू रुकना मत ,तू झुकना मत
उजाला भी धोखा जो देने लगे,
कदमों तले ज़मीं खिसकने लगे,
रास्तों का दामन छिटकना मत,
तू रुकना मत ,तू झुकना मत,
कहने को जब कुछ ना बाकी रहे,
सुनने को कोई ना राज़ी रहे,
तू वचनों से अपने मुकरना मत,
तू रुकना मत तू झुकना मत,
उम्मीदें जो तेरी बिखरने लगे,
सांसें हलक में अटकने लगे
कर्मों की डगर से भटकना मत,
तू रुकना मत तू झुकना मत,
ज़िन्दगी है पोरों पर पलों का सफ़र,
कहानी किसी की किसी की कलम
कहानी में अपनी तू रहना सवंर।
तू रुकना मत तू झुकना मत,
हौंसलों ने मेरे कहा मुझसे,
तू चलता चल तू चलता चल
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