Deepti Nagesh   (Deepti ✍🏻 @kalamkar.17)
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Joined 22 December 2019


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Joined 22 December 2019
16 FEB AT 13:50

मन में भभग रही चिंगारी हैं, सायद अब मेरी बारी हैं
शिखर शिला सा ठोस बनू मैं, संघर्षों से क्यों अफशोस करू मैं ।।

डगर कठिन हैं मंजिल की पर सहज सफलता रास नहीं
मेहनत से डरने वालों कि बुझती नहीं हैं प्यास कभी ।।

सोना पहले तपता हैं तब तो खूब चमकता हैं
बिना तरासे हीरा भी तो न गहनो में सजता हैं।।

तु दिनकर सा आभा ला इस पूरे संसार में
थक बैठें है जो हार से तु सब को जोस भरी हूँकर दे ।।

निर नहीं नदिया बन जा स्वयं बना ले पथ अपना
अपने संघर्षों के पुष्पों से वीर सजा ले रथ अपना।।

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3 SEP 2023 AT 17:43

तेरे बारे में लिखूँगी पर तेरा नाम नहीं आयेगा
तुझे जानेंगे सब पर पहचान कोई नही पायेगा ।।

तुझे तो मैं अच्छा बेटा बताऊंगी अपनी कहानियों में
मुझे मंजूर नहीं होगा कोई तुझ पे इलज़ाम लगायेगा।।

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27 JUN 2023 AT 12:31

तुझे हासिल नहीं तुझ संग प्रेम का पान चाहती हूँ
अपनी प्रतिक्षा का सुखद अंजाम चाहती हूँ !!

मुग्ध हूँ जिस मोहना के मोह में मैं
बस उसी के हृदय में स्थान चाहती हूँ !!

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21 MAR 2023 AT 17:28

मेरे हौसले का अवकल क्यों कर रहे हो,
आकलन करो तो अच्छा होगा ।
कामयाबी मिल जायेगी ,अगर इरादा पक्का होगा ।।

तुम मुझे शून्य समझते हो और ख़ुद को नायाब
बताइये ज़रा ,शून्य का महत्व नहीं जानते क्या आप ।।

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7 MAR 2023 AT 14:40

सारी बाधाये पार कर ,आगे बढ़ जाऊंगी
मौका माँगूँगी नहीं ,ख़ुद ढूंढ लाऊँगी

कमजोर नहीं न अकेली नारी हूँ
कर लो ऐलान युध्द का ,मैं एक 10 पे भारी हूँ !!

अपमान न सह पाने वाली ,मैं वो भोली सती हूँ
स्वाभिमान के लिए महाभारत करवा दूँ ,मैं वो द्रोपती हूँ !!

हाँ कली हूँ मैं ,और हूँ महा काली भी
ममता की मुरत हूँ मैं ,हूँ मैं दुर्गा शक्ति शाली भी!!

शांत हूँ मैं नदियों सी ,और सागर का सैलाब भी
रोशनी हूँ मैं ,और जालाने वाली आग भी !!

करुणा का कत्ल कर के,
मेरे अंदर की चंडी को मत जगाओ !!

अये नर रुक जा तु अभिमानी,
खुद के लिए यमराज मत बुलाओ !!

Deepti✍️







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7 MAR 2023 AT 14:23

श्वेत मेरा जीवन हैं तुम रंग प्रेम के भर दो
प्रफुल्लित कर मन को मेरे ,इंद्रधनुष सा कर दो !!

तुम रास करो कान्हा सा और साथ रहो राधा के
तुम नभ सा नीला कर दो , मेरे श्वेत पड़े जीवन में !!

तुम धरा का रंग धारण कर लो या हरियाली बन जाओ
रक्त का रंग नहीं तुम प्रीत की लाली हो जाओ !!

केसर का पुष्प बनोगे या तुम खुद केसर हो प्रिये
तुम चंदन हो जाओ या बन जाओ दाने मिश्री के !!

गर अंधियारी लाओ तो वर्षा के काले बदल सी लाना
तुम बरस जाना मुझ बंजर पे आ जायेगा मुझे भी मुस्काना!!

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15 FEB 2023 AT 10:28

रोज़ तुझे लिख के तुझे ही मिटाती हूँ ।
तु मेरा नहीं हैं ख़ुद को बार बार समझती हूँ ।।

ये बात मन मेरा समझने से इनकार करता हैं ।
एक दफ़ा नहीं सौ से हज़ार बार करता हैं ।।

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26 DEC 2022 AT 11:26

हाँ मैं प्रियशी हूँ और रहूँगी सदा
तुम्हारी पत्नी नहीं बन सकूँगी तो क्या..?
रुखमणि के नाम से ज्यादा
कृष्ण संग सुना हैं मैंने

श्री राधा श्री राधा श्री राधा..... ! ❤



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7 OCT 2022 AT 2:08

प्रेम.. की कोई परिभाषा नहीं हैं ,ना कोई विलोम हैं!
प्रेम.. अथाह सागर हैं , प्रेम अनंत व्योम हैं !!

प्रेम.. सूरज की गर्मी हैं और पेड़ की ठंडी छाया भी !
प्रेम..शीतल जल और जलती भभकती ज्वाला भी !!

प्रेम.. सुकून हैं ,तो प्रेम पीड़ा भी !
प्रेम.. से द्वंद हुआ और प्रेम ..से रास लीला भी !!

प्रेम.. बच्चों सी नादानी और वृद्धो सी समझदारी चाहती हैं
प्रेम.. का कोई स्वरूप नहीं, प्रेम.. को कोई सीमा नहीं बांधती हैं!!

प्रेम.. दुआ हैं और दवा भी, प्रेम गर्व हैं और गुरुर भी!!
प्रेम.. मार्ग हैं पर नेत्रहींन भी, प्रेम .. पागलपन और सुरूर भी!!

प्रेम.. गाथा हैं प्रेम व्याथा हैं प्रेम.. अभिलाषा की सखा हैं!
प्रेम..आरंभ हैं प्रेम पर अंत हैं प्रेम..लुप्त हैं और सर्वत्र हैं!!



पर्याय, समनार्थि, सब देख लिया...दुजा मिला न कोय !
प्रेम शब्द रख दिया अर्थों की पूर्ति होय !!

-deepti✍🏼



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4 AUG 2022 AT 1:19

मैं खुद में झाकना चाहती हूँ
अकेले पन से भागना चाहती हूँ
तन्हाई खिचती हैं मुझे अपनी ओर
काश तुम आओ और काट दो ये डोर

डोर जो मुझे बांध के रखती हैं
राते अकेली हैं जो बहुत चुभती हैं
ख़ुद मे खुश रहने का बया कर दो तरीका
या ऐ खुदा भेज दे कोई फरिस्ता

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