शिशिर ऋतु
विरह तड़पाये
पतझड़ हैं |-
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जब कोई इंसान आंखों से उतरकर सीधा दिल पर वार करता है न, वो इंसान आपकी पसंद हो सकता है पर पसंद बनकर हमेशा रहे ये guarantee नहीं है sorry 😅😅।
पर अगर कोई इंसान आपके दिल को छूकर फिर आंखों में उतरे तो यकीन मानिए वही आपका सच्चा साथी है ।।
-दीप्ति 'हिना'-
फ़जा ख़ामोश फिर रंग आज़ लाई है,
फ़जा में क्या घुली फिर से तन्हाई है।।
शहर सूना बहुत सूना मगर क्यूं है,
वबा की हाय पुरवाई जो अाई है।।
-दीप्ति 'हिना'-
तू मेरी बन्दगी तुझसे है हर खुशी,
तू न हो तो महल ख़्वाब के फोड़ दूं ।।
- दीप्ति 'हिना'-
ए मेरे हमकदम कुछ कदम साथ चल
मै जुदा राह को राह में जोड़ दूं ।।
-दीप्ति 'हिना'-
आ मेरे पास तू दिल तेरा तोड़ दूं
जिस तरह तू गया मै तुझे छोड़ दूं
मांग ले ज़िन्दगी तू मेरी मै सनम
ज़िन्दगी छोड़ दूं तोड़ दूं मोड़ दूं
दीप्ति 'हिना'-
ख़बर नहीं तुझे मेरा है हाल क्या तेरे बिना,
पता नहीं मुझे तेरा है हाल क्या मेरे बिना ।।
तेरे कभी पनाह में रही मेरी ये ज़िन्दगी,
मेरी कभी पनाह में रही तेरी ये ज़िन्दगी ।।
ये शायरी रदीफ़ और काफ़िया ग़ज़ल मेरी,
तेरा अक़्स मेरा इश्क़ बयां करे ये शायरी ।।
दीप्ति 'हिना'-
तेरा लहज़ा तेरा जज़्बा
मै सब हाँ सब जानती हूं
तुझे शोहरत की चाहत है
मै हाँ सब कुछ मानती हूं
मेरी चाहत इतनी तेरा मै
ज़रा-सा वक़्त चाहती हूं
ख़ता है शायद मेरी की मै
तुझसे ये क्या माँगती हूं
दीप्ति 'हिना'-
तेरी बातों की सारी चहक
मेरी बातों में भी मिले
तू आ जाए मेरे सामने
कली मेरे दिल की खिले
छोड़ दिया था तूने मुझको
छोड़ भी यार शिकवे गिले
कहूं ग़ज़ल मै रात-रात भर
सामने तेरे लब ये सिले
राह देख रही हूं मै कबसे
आकर तू मुझसे कब मिले
-दीप्ति 'हिना'
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