Deepti Chittoria   (फनकार دیپتی)
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Joined 19 June 2020


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Joined 19 June 2020
12 JAN 2023 AT 12:16

वो हिलती हुई डालियां जैसे मुझसे बात कर रही हों,
उनका मुझ पर छोटी छोटी पत्तियां बरसाना जैसे कुदरत की बारिश मुझ पर हो रही हो...
ऊपर से बादलों का उड़ना जैसे खुद स्वर्ग मुझतक अपनी बात पहुंचाने आया हो... और इतने में प्रकृति की हामी पत्तों की सरसराहट से मेरी बात पर हुई हो...


कितना हसीन है ये पल...फिर से बचपन में मस्ती में मस्त रहना और कुछ करने के सपने मेरा बचपन लौट आए!

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3 JAN 2023 AT 10:48

Day by day my condition become verse with the words...
Somebody is dyeing in to my curse...
Whenever i see a star...but actually there is no star somebody is comming with a white lighted background forcibly pushing me to left all the sorrow nd ur body..
With some angel birds...!!

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26 DEC 2022 AT 17:26

वो भी क्या दिन थे...

शाम भी बड़ी सुकून भरी
,रात,अगले दिन नई मुलाक़ात की तसल्ली से...और सुबह,हल्की सी मुस्कान लिए बड़ी बेफिक्री में होती थी..!
वो सुनहरी शाम में ढलते सूरज के बीच कहीं मेरा दूसरा घर होता था...और
बीच कई विचारों में शांत घड़ी की वो चलती हुई सुईंयां होती थीं...!!

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6 DEC 2022 AT 22:02

Hum per apna hath bnaye rakhna....shauk se haq jataye rakhna....
kuch baatein ho intzar mt karna bas thode se pal apne waqt k mre liye bachae rakhna....!

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6 DEC 2022 AT 21:58

Mahol ye hai ki vo din din kar mjhe apna bnata hai..kuch naya her roz kalam se likhwata hai...!!

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5 DEC 2022 AT 19:28

लंबे अर्से के बाद,बदहवास सी मैं
ख़ुद से रूबरू कुछ इस तरह हो पाई हूं कि
मौत के बाद भटक कर रूह ख़ुद ही का बुत निहार रही हो.....!!

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20 OCT 2022 AT 19:11

बाहर..जैसे बहर-ओ-हवा हो रही हो..!!
बिखर रही हो ख़ामोशी..!
मुझसे पूछता कौन है..?
बेआबरू सी आबो हवा अंदर कत्ले आम की है!
कुछ रूह में घुली मिठास सी जहरीली लगती है...जो कई दिनों से बंद किताब सी है...!
तरीब के हिज्र पत्थरों पर पढ़ता कौन है..?

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27 AUG 2022 AT 19:01

फिर एक बार, बार बार पीछे जाने को जी करता है,
वही शाम का वक्त मगर कुछ बढ़ा हुआ...आकाश को छू लेने का अरमां और पक्षियों को देखना...
किसी बच्चे को देखकर अपना बचपन याद आता है...
सुकून और अकेला होना भी कितना अच्छा लगता है,
आंखों में कुछ चुनिंदा बड़े ख्वाबों की गहराई कुछ ढूंढती आंखें...मां के साथ बिताने को कुछ पल फिर से जीने को जी करता है.. छत पर हल्की सुनहरी धूप और गुनगुनी हवा का छूना...खामोश सा पर्वत और कानो को भाने वाला संगीत...सच है बचपन बहुत प्यारा होता है..!!

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25 MAY 2022 AT 19:40

जीवन मे सबसे बड़ा एहसास जिसे चाहते हैं उसके चेहरे पर हमारी वजह से आई खुशी होती है...
और सबसे बड़ा दुख भी यही के कुछ अच्छा करने के पीछे उस भावनाओं से ऊपर कुछ पुराने पन्नों के गहरे स्याही के धब्बे!!

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13 MAY 2022 AT 20:01

Bht shor hai mere dil me bhi or apke dil me bhi...
Sunai theek s deta nhi jis trh samudra k bich gehre pani mein koi zor s awaz deta h..or awaz ko pohonchne ka zariya milta nhi

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