चाह पूरे आसमां की आँखों में भरे हूं
तकती हूं हर पहर ज़मी से लड़ी हूं |🌈-
यकीन मानो मज़े में हैं ! 🍁
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मग़रूर सी बैठी है जन्नत मेरी,
जहाऩो की खुशिया अब हासिल है मुझे !!
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वो फिर पूछ लिए
मिज़ाज मेरी रिज़ा का,
एक झोका हवाँ का,
बंधता समा शाम का
रंगना उस आसमां का
खिलना वहा चाँद का
जवाब मेरी जूल्फ़ का !! 🍂
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हिस्सों के मायने जानता ग़र वो
तो दरमियान हमारे ये लकीरे ना सजाता |
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रख लेना इस जहां के सारे हिस्से
तेरे साहिलों से सवाल नहीं मेरा अब
ना ही उस दरिया किनारे आसरा
और ना तेरे शहर से कोई नाते अब
रहना है तो बस इन शामो तले
बहना एसे कि आसमां जले .!!
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इस दुनिया के शोर मे,
जब तुम सा कोई मिल जाता हैं
कुछ बाते हो ना हो,
दिल जरूर बहल जाता हैं !!
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दरीचे पे बैठ जौ ताके आसमां, वो आरज़ू
एक सोच बेसुध भरी बेखुदी मे, वो आरज़ू
सवालों की टंकी लड़िया हाथ मेरे एक सिरा, वो आरज़ू
जवाबों की बेतरतीबी सहेजें लब मेरे, वो आरज़ू
आरज़ू क्या हैं ... ?
सर्द ठिठुरती शामों मे, लक्कड़ मे आग सी
कोहराते धुन्दले पन मे, गाड़ी की हेडलाइट सी
गाँव की वीरान सड़कों में, खटखटाती साईकिल सी
घने जंगलो में सर पर नाचती उस तितली सी
हैं वो आरज़ू!!
अभिलाषा |[अभिलाषाओं की एक लंबी श्रंखला - आरज़ू]-
Hey Dusk,
I been waiting here day night and times,
though you been warning not to repeat butday long my eyes have just you to yearn.
After the sun dipped into horizon, the moon shining bright there, is gleaming inmy eyes.
Watching the moon,wrangling birds loitering thoughts vice-versa, skirmish
though, but found peace cause this moment is what holds onto me.
I lean to you cause you never put my yearns to vain....
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क्याँ कहना है, क्याँ सुनना है ¿
उसको खबर है, मुझे मालूम है
मासूम है वो, ग़र अनजान नहीं है
पर मान लिया उसने, वो जान नहीं है
किस्सा है वो, रोज-मर्रे की कोई बात नहीं है
मेरी शामों मे, अब वो कुछ खास नहीं है ..
लम्हा है वो, रोज़ का कोई ख्याल नहीं है
आरज़ू हो उसकी, वो इतना बेमिसाल नहीं है
सहेज़ सकू फिर, वो इतना नायाब नहीं है
किताबों में रखू जिसे, वो वेसा गुलाब नहीं है
जिंदगी का पहिया, थम सा गया है
इस बेरुखी में मन मेरा रंग सा गया हैं |-