Deeptej Mahal  
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थोड़ी देर यहां पर ठहर कर सुकून मिलता है। बस
Joined 22 December 2019


थोड़ी देर यहां पर ठहर कर सुकून मिलता है। बस
Joined 22 December 2019
15 JAN 2022 AT 21:54

इत्र सा महकता तेरा नाम,
खरीदने की कोशिश करने वाला नाकाम,
चाहे वो कोई खास हो या आम,
इस महक की बराबरी मुश्किल का है काम,
बस इसी के नशे में रहते है सुबह शाम,
इसके आगे फीके महखाने के ढ़ेरों जाम,

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5 JAN 2022 AT 6:52

आओ करते है शुरुआत नई,

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4 JAN 2022 AT 20:41

पास रहा करते थे तुम जब मेरे,
सपने खुद–ब–खुद पूरे होते थे तब मेरे,
जिस दिन तुम्हे गुस्से में आकर वो बातें कही,
बस तभी से दुश्मन से लगते है अब ये लब मेरे ।

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2 JAN 2022 AT 20:45

ये साल महीने और ये दिन
ऐसे ही गुजरते जायेंगे,
ये हमपर है की हम इसमें अच्छे
से जिएंगे या मर जाएंगे।

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26 DEC 2021 AT 20:07

यहां पर सबकी अपनी कहानी है,
शायद लोग ही पागल है या फिर
मोहब्बत ही बहुत सयानी है।

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26 DEC 2021 AT 19:44

इंतेजार की ये घड़ियां बहुत
लम्बी होने वाली है,
अब उसके दिल में किसी
ओर ने जगह बनाली है।

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23 OCT 2021 AT 0:04

पहले रहता था ख्याल आठों पहर तुम्हारा
अब तुम कम याद आते हो..

लोग हमें कहने लगे है मौसमी फूल जो सावन में
खिलते हैं और पतझड़ में झड़ जाते हो..

बेझिझक करते है अपनी हर कमी को जाहिर तुम
तुम जिसे लोगो से छुपाते हो..

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22 OCT 2021 AT 23:53

तेरे साथ जब होता हूं वक़्त मांगे गुजरने की मोहलत मुझसे

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17 OCT 2021 AT 0:12

रात भर झूमता रहा तेरी यादों के नशे में..
अगर तू मौजूद होती तो दोगुना होता असर,

आखिरी मुलाक़ात को भी बातों में टाल दिया..
अगर पता होता हमे तो थाम लेते तुम्हे कसकर,

ना तेरी तस्वीर ना कोई निशानी है मेरे पास..
अगर तू वापिस आ जाए तो रखेगे आँखों में भरकर,

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16 OCT 2021 AT 23:57

मैंने कहा उससे कि इस चाँद में बस तू ही नजर आया करती थी
उसने हस कर कहा कौन से चांद में हमारे शहर में तो आसमान बहुत थे,

मैं ताउम्र लड़ता रहा निहत्था बिना किसी हथियार के
पीछे मुड़ा तो देखा मेरे अपनों के हाथों में तीर कमान बहुत थे,

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