असंख्य दुखों की एक साथ अनुभूति मनुष्य को किसी एक दुख को अनुभव करने योग्य नहीं रहने देती, वह दुःखहीन हो जाता हैं।
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Deepshikha Soni
(DEEPSHIKHA)
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❤Ninno_Poetry ❤
Joined 3 January 2020
9 DEC 2024 AT 13:56
5 JUL 2024 AT 2:03
जो स्त्रियां घर नहीं संभाल पाती, वो
अक्सर देश संभाल लिया करती हैं.,-
9 APR 2024 AT 2:53
उन सात फेरों का कोई अर्थ नहीं
जिनमें दो आत्माओं का
गठबंधन ना हुआ हो 💯-
19 OCT 2023 AT 23:14
वक्त निकल जाने के बाद
दिया हुआ प्रेम सहयोग
हौसला तारीफ परवाह का
कोई महत्व नहीं रहता।
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21 SEP 2023 AT 21:58
कुछ यूं ज़िंदगी का दस्तूर निभाते रहें
सब कुछ सहते गए और मुस्कुराते रहें.,-
20 SEP 2023 AT 1:24
तकलीफ़ ये हैं कि मुझे अपनी
तकलीफ़ बयां करना नहीं आता
और कोई समझ सकें दिल ए दर्द
कोई ऐसा शख्स कहा,🥺💯-