Deepshikha   (Deep)
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Joined 20 January 2018


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8 JUN 2021 AT 17:53

खालीपन!
@read_the_caption.

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6 JUN 2021 AT 23:54

किसी की नज़र ना लगे!
@Read_the_caption!

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4 JUN 2021 AT 15:01

जादू!

@Read_the_caption!

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4 JUN 2021 AT 0:53

पूरी दुनिया एक तरफ़ थी,
तब तुम थे मेरी तरफ़ !
तुम अब साथ ना होकर भी,
हर पल कुछ यूं साथ भी हो!
आखिर क्यों ना तुम्हारी
इबादत की भी अब बात हो?

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3 JUN 2021 AT 12:12

चार वाक्यों में सिमटी ये कहानी,ओ साईं!
ना मैं किसी की हो पाई,
ना उसे अपना बना पाई,
पाकर भी मैंने सबकुछ,
लूटा दी हर एक पाई !

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2 JUN 2021 AT 22:16

आज- कल की शामें!
@Read_the_caption!

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1 JUN 2021 AT 15:37

फ़िलहाल अभी!

@Read_the_caption!

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30 MAY 2021 AT 21:11

कुछ इस तरह!

@Read_the_caption.

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29 MAY 2021 AT 13:55

जीवन में कभी अगर तुम्हें
फूल देने का मौका मिला,
तो गुलाब ना देकर,
तुम्हें मै, रात में गिरे,
हरसिंगार के फूल दूंगी |
उनकी कोमलता महसूस करना,
आराम से मुट्ठी भींच लेना |
जब उनकी शीतलता से मन भर जाए,
तो उन्हें मुझे वापिस कर देना !
डायरी में रखने के लिए,
तुम्हारी कोमलता,
तुम्हारी शीतलता,
तुमको !

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26 MAY 2021 AT 0:51

सब बातें अगर भूल भी जाऊँ,
सारी यादें अगर जला भी डालूँ,
सब तस्वीरें अगर मिटा भी दूँ,
तो भी जो ज़ख्म तुम भरते गए,
वो कैसे भूल जाऊँ?
ख़ुद से कैसे भाग जाऊँ?

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