कोई तो हो.... जो सिर्फ मेरा हो.... कोई तो हो.... जिसके लिए मैं काफी रहूं...... कोई तो हो..... जो "मैं ठीक हूं" , सुनकर भी कसकर मुझे अपनी बाहों में ले ले...... कोई तो हो..... जिसके सामने मैं अपना दिल खोल सकूं...... कोई तो हो..... जिसे मेरे रूठने से फर्क पड़ता हो...... कोई तो हो...... जो सिर्फ मेरे लिए हो......
तुम्हारी फुरसत के इंतजार में रहती हू्ॅं, जाने कितने महीनों से तुम्हारे प्यार में रहती हू्ॅं। उन बीती यादों के आस-पास रहती हू्ॅं, बस तुमसे मिलने की आस में रहती हू्ॅं।
अपने जज्बातों और इच्छाओं को एक बक्शे में बंद कर, यूं इस कदर चलता कर दिया है मैंने, कि अब इसे दरिया में गुम करने कि कोशिश है। कोशिश ऐसी की मैं खुद भी ना ढूंढ पाऊं चाह कर भी इस पिटारे को मैं खुद ना खोल पाऊं।
हम साथ थे, पास थे लड़ते थे झगड़ते थे, रूठते थे, मानते थे और एक दूसरे में खो जाते थे फिर एक रोज तुम चले गए और चला गया तुम्हारा वो एहसास, तुम्हारी वो छुअन, तुम्हारा मुझे यूं देखना, मुझे खुद में यूं समेटना चला गया सबकुछ तुम्हारे साथ।
एक बार तुम्हें मै नज़रों में उतारना चाहती हूं फिर से तुम्हारे हाथों को छूना चाहती हूं फिर से तुम्हारे होठों को चूमना चाहती हूं फिर से तुम्हारी बाहों में खोना चाहती हूं फिर से तुम्हें सीने से लगाना चाहती हूं फिर से तुम्हारे कंधे पर अपनी उंगलियां फेरना चाहती हूं फिर से तुमसे लड़ना चाहती हूं , झगड़ना चाहती हूं रूठना चाहती हूं तुम्हें मानना चाहती हूं फिर से बस एक बार आ जाओ मेरे पास फिर से