Deepmala Pandey  
30 Followers · 5 Following

Joined 7 November 2017


Joined 7 November 2017
23 MAY 2022 AT 0:03



मेरे छत्तीसगढ़
के कलमकार
✍️✍️

-


12 MAY 2022 AT 23:15



यदि उस दिन मैं हिम्मत न करती

तो बनावटी रिश्तों को पहचान नहीं पाती
लोगों के चेहरे से मुखौटे हटा नहीं पाती
उनके दिलों में अपनी जगह जान नहीं पाती
अनजाने में उनके लिए मैं अपना सर्वस्व लुटाती
पास रहते थे मेरे पर मैंने उन्हें दूर पाया है
जब भी मुझे जरूरत पडी़ मुझसे हाथ छुडा़या है
समय रहते समझ सकी कौन अपना पराया है
लोगों ने कैसे हमें अच्छा सबक सिखाया है ।
यदि उस दिन मैं हिम्मत न करती तो
शब्दों को लबों पर मैं छिपा कर ही रखती
अपने ही क्रोध की आग में मैं स्वयं जलती
दुनियां को दिखाने के लिए मैं रिश्ते निभाती
लेकिन अंतर्मन से मैं लोगों को माफ न कर पाती ।
*************************
दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


17 MAR 2022 AT 7:28

किसी भी व्यक्ति के उत्थान और पतन में उसके परिवार और समाज का बहुत बड़ा दायित्व होता है, एक छोटी सी प्रतिभा के धनी व्यक्ति के प्रतिभा को अगर सराहा जाए तो उस व्यक्ति के प्रतिभा में निखार के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ता है और वह व्यक्ति और अधिक मेहनत करके आगे बढ़ जाता है , लेकिन वहीं पर दूसरे व्यक्ति की प्रतिभा को लोग अनदेखा करके उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाते हैं जिससे वो व्यक्ति आगे बढ़ने में सश्रम नहीं हो पाता।

दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


19 FEB 2022 AT 17:37

बचपन

खो गया जाने कहां वो
प्यारा सा बचपन मेरा ।
वही चेहरा मांगता है
मुझसे हर पल दर्पण मेरा ।

दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


11 FEB 2022 AT 0:16

एक स्त्री जीती है अपने घर के लिए
और उस घर में रहने वाले अपनों के लिए
लेकिन उसके लिए कौन जीता है ?
आज भी अधिकतर जगहों पर ये सवाल ,
सवाल ही रह जाता है , कभी इसका
जवाब नहीं मिलता ।
**************************
दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


9 FEB 2022 AT 23:20

जब जब चलती है
मेरे साथ मेरी परछायी
तब महसूस ही नहीं होती
कभी मुझे मेरी तन्हायी ......

❤❤❤❤❤❤❤❤
दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


9 FEB 2022 AT 13:27

*क्योंकि मैं नारी हूं*
सींचती हूं मैं अपने आंसू और मुस्कान से ।
सजाती हूं घरौंदा मैं दिल और जान से ।
कर लो मेरी भी इज्जत नारी हूं तो क्या ।
जीना है मुझे भी अपने मान और सम्मान से ।।
ब्याह कर आयी तो ससुराल की मर्यादा बचाती हूं ।
पत्नी बनी हूं पति के नखरे भी उठाती हूं ।
मुझसे सारा जहां है मैं नारी सृष्टि रचती हूं ।
माँ बनकर अपने बच्चे को दूध पिलाती हूं ।।
ससुराल और मायका में भेद नहीं करती ।
जब-जब ताने मिले बस मौन होकर सुनती हूं ।
ब्याह हुई तो क्या हूआ नारी से पहले बेटी थी ।
इसीलिए अपने माँ बाबा का ध्यान भी रखती हूं ।।
कभी बहू के रूप में दुत्कारी गयी ससुराल से ।
कभी अपने ही पति से अपमानित भी हुई ।
कभी किसी वजह से मायके का रास्ता बंद हुआ ।
फिर भी सब सहती रही क्योंकि मैं एक नारी हूं ।।
**************************
दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


22 JAN 2022 AT 22:17

वर्तमान में अपनों की परिभाषा

जो लोग तुम्हारी खुशी में खुश नहीं होंगे
जो लोग तुम्हारे दुःख में आंसू नहीं पोछेंगे
जब भी मौका मिलेगा तुम्हे नीचा दिखाने का
तुम्हारा मजाक उडा़येंगे और नीचा दिखायेंगे
आजकल तो बस यही परिभाषा है अपनों की
दिखावे का अपनापन और रिश्तेदार कहलायेंगे ।

दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


21 JAN 2022 AT 23:05

उठो नारी तुम खुद को समझो
अब कोई न तुमको समझेगा
जब-जब तुम बढोगी आगे
पीछे से पांव हर कोई खींचेगा
सबसे पहले तेरे अपने होंगे
जो आगे तुम्हे न आने देंगे
जब भी खुशियां तुम्हें मिलेगी
लोग उसे अनदेखा करेंगे
कोई बात नहीं पराये भी मिलेंगे
तुम्हें दिल से दुआ देने वाले
जो तुम्हारे गम में आंसू पोछेंगे
और खुशियों में खुश होने वाले ।
*********************
दीपमाला पाण्डेय अंजली ✍️
रायपुर छग

-


21 JAN 2022 AT 15:35

गजल सृजन

मेरी जिंदगी के सफर में मीठी मुस्कान हो तुम
मेरा रब मेरे खुदा और मेरे भगवान हो तुम ।
मुझे मिली है खुशियां इस जहां में
और मेरी जिंदगी की पहचान हो तुम ।
कभी सोचा न था जिंदगी ऐसी भी होती है
बस इस जिंदगी के मान और सम्मान हो तुम ।
मैं जो नजरें झुकाऊं और नजरे उठाऊं तो
नजर में रहो तुम और मेरा सारा जहान हो तुम ।
अंजली ने रब से कभी मांगी थी इक दुआ
हमें मिलाया और उसी रब का वरदान हो तुम ।
*************************
दीपमाला पाण्डेय अंजली
रायपुर छग

-


Fetching Deepmala Pandey Quotes