नारी हूँ मैं !
नारी हूँ मैं !
शक्ति की मिसाल हूँ मैं !
जननी हूँ , जीवन हूँ
सशक्त हूँ , साकार भी हूँ !
वात्सल्य, प्रेम, करुणा, सब्र, निस्वार्थ अपनापन, कर्मठता और सहनशीलता कई हैं मेरे गुण ।
घर-आंगन त्याग नया जीवन अपनाती हूँ ,मन में लिए अनेकों उधेड़ बुन!
बेटी, बहन, पत्नी कर्मयोगिनी और माँ - हर रूप में तत्पर ढल जाती हूँ मैं !
कम मत आंको , चलाने को देश भी चला लेती हूँ मैं!
मेरी लड़ाई पुरुषों से नहीं ,
उन रीति रस्मों और विचारों से है ,
उन उसूलों से है ,
उन मिथ्यायों से है - जो मुझ पर लागू किए जाते हैं ।
मैं कुछ और नहीं , खुद को समझा कर, अपनी एक नई पहचान बनाना चाहती हूँ।
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