Deepika Verma   (Deepika Verma)
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Growing writer..
Joined 17 November 2019


Growing writer..
Joined 17 November 2019
1 APR 2020 AT 13:15

दूरियां मजबूरी नही फ़िलहाल जरुरी हो गयी हैं
इसे कुदरत का खेल कहे या वक़्त की मार
फ़िलहाल ये सबकी मंजूरी हो गयी हैं
परिवार के साथ समय खोजा करते थे
समय तो हैं, मिलावट पर चिंता की भी
पिंजरे में बन्द उस प्राणी की वेदना अब जान पाती हूँ
शांति को अब शांति से समझ पाती हूँ
हालातो को देख असमंजस में आ जाती हूँ
मन में अपने कई सवाल उठाती हूँ
अभी ये दूरियां नही हुई तो दूरियां कुछ और होंगी
मुलाकात करने का मन होगा मुलाकात तक नही होगी
ये दूरी उस दूरी से अच्छी लगती हैं
संगी-साथी साथ तो हैं
अकेले बंद होने से बेहतर लगती हैं
इस वक़्त को भी मात देने में मेहनत करेगी
ये जो इंसानी फितरत हैं हर जतन करेगी

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21 MAR 2020 AT 10:48

मंज़िले अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह
माना मंज़िल पर हर कोई तझे सुनेगा
पर रास्ता तेरा दिल चुनेगा
मंजिल एक सुहाना फ़साना हैं
पर रास्ता हर रोज बिताना हैं
रस्ते में इतने रंग भर दो की मंज़िल रंगीन हो जाये
मंज़िल इतनी रंगीन कर दो की रस्ते न भूलाये जाये
मस्ती भरा राही बनकर सफ़र गुज़ार दे
मिलते हुए हर शख्स को अपनी कोई याद दे

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19 MAR 2020 AT 17:25

किशोर की मस्ती में मस्त..
रफ़ी की मोह्हबत में मशगूल!
एक चाय की प्याली, और..
लब पर मुस्कान थोड़ी सुहानी,
कुछ यूँ हैं पसंद हमारी अनजानी

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2 MAR 2020 AT 11:44

The way a seed give rise to a big tree,
a change from an individual give rise to a change in flock..

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25 FEB 2020 AT 21:39

दरिया को कुँए में समेटा नहीं जाता
दरिया को दरिया ही रहने दो
कोशिश जो उसे की समेटने की
छलकना उसको पड़ेगा ही
उसकी मन की खलबलाहट लेहरो को ही समझने दो
उसके मिलन की आस किनारो पर ही रहने दो
प्रीत को उसकी वो रेत का कण बेहतर जानता हैं
रोक कही पर थाम दिया तो पानी खराब होने लगेगा
बहना उसकी खासियत हैं उसे बहने दो..
दरिया को दरिया ही रहने दो..

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6 FEB 2020 AT 19:37


वो चंद उपकरणों के द्वारा
जो दिल के किसी कोने में होती हैं दबी सी..
तलाश मन की यू कुछ हैं होती
नन्ही हथेली जैसे माँ के हाथो को छूती..
शब्द कहा उसे बयां कर पाते हैं
वो क्यूंकि अनकही जो होती हैं..

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2 FEB 2020 AT 18:28

ये किस तरह की लुक्का-छुप्पी खेल रहा है वक़्त
कभी तुझसे नाराज कभी मुझसे खफा हो रहा है वक़्त
मेरे पास आकर वक़्त तेरे पास से गायब क्यों है
तेरे पास जाकर वक़्त मेरे पास से गायब क्यों है
हा मेने माना! जरा ज़िद्दी तो ये हैं
पर भरोसा हैं ये! कमज़ोर तो हम भी नहीं हैं
दो पल हम चुपके से छुपा लेंगे
उस दो पल में सो रंग सजा देंगे
थोडा प्रयास ही तो मांगता हैं ये वक़्त
थोड़ा आप थोड़ा हम लगा लेंगे
पर आश्वासन ये दिलाते है
वक़्त से हम वक़्त को हमेशा ले आएंगे...

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23 JAN 2020 AT 19:22

Kindness is not just an act,
it's the reflection of pureness of
the heart and respect
towards the supreme power...

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21 JAN 2020 AT 22:17

that life has plenteous of flavours,
Taste it before it melts..
Everyday a new flavour is waiting to be tasted
The favorite one can't be replaced
But the new ones can't be disdained

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19 JAN 2020 AT 20:45

हसले तू...
शायद तुझे सुकून मिल जाये
तेरे इस सुकून को देखकर
हाँ! तेरे इस सुकून देखकर
मेरे जुनून को थोड़ी और आग मिल जाये
बैर तुझसे मुझे कोई होगा नहीं
कोशिश करेँगे खुदको तेरा शुक्रगुज़ार बना पाये

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