दूरियां मजबूरी नही फ़िलहाल जरुरी हो गयी हैं
इसे कुदरत का खेल कहे या वक़्त की मार
फ़िलहाल ये सबकी मंजूरी हो गयी हैं
परिवार के साथ समय खोजा करते थे
समय तो हैं, मिलावट पर चिंता की भी
पिंजरे में बन्द उस प्राणी की वेदना अब जान पाती हूँ
शांति को अब शांति से समझ पाती हूँ
हालातो को देख असमंजस में आ जाती हूँ
मन में अपने कई सवाल उठाती हूँ
अभी ये दूरियां नही हुई तो दूरियां कुछ और होंगी
मुलाकात करने का मन होगा मुलाकात तक नही होगी
ये दूरी उस दूरी से अच्छी लगती हैं
संगी-साथी साथ तो हैं
अकेले बंद होने से बेहतर लगती हैं
इस वक़्त को भी मात देने में मेहनत करेगी
ये जो इंसानी फितरत हैं हर जतन करेगी
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